उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कोविड-19 महामारी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में आउटडोर खेल गतिविधियों की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को अपना काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति वी कामेश्वर के समक्ष याची ने तीसरी लहर के कारण इस तरह की गतिविधियों पर प्रतिबंध को रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने कहा डीडीएमए स्थिति की जांच करने के लिए 4 फरवरी को अपनी बैठक कर विचार कर रहा है ऐसे में याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।
अदालत ने कहा मॉल और सिनेमा हॉल को खोलने की मंजूरी की तुलना वर्ममान मामले में किए गए आग्रह से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा पहले स्थिति सामान्य होने पर ऐसे लोग को राहत प्रदान की गई थी। अदालत ने कहा याचिकाकर्ता टेनिस खेलना चाहता है। मॉल आदि से की जाने वाली तुलना को एक अलग नजरिए से देखा जाना चाहिए, वे रोजगार के स्रोत हैं। वे संलग्न लोगों को जीविका और रोजगार देते हैं।
अदालत ने कहा कि डीडीएमए इस पर गौर कर रहा है और आउटडोर खेल गतिविधियों की अनुमति देने का निर्देश याचिकाकर्ता के इशारे पर नहीं दिया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता डीडीएमए के निर्णय के बाद पुन: अदालत में आने के लिए स्वतंत्र है।
दिल्ली सरकार के वकील सत्यकाम ने तर्क दिया कि आउटडोर खेल गतिविधियों की अनुमति देने का मुद्दा डीडीएमए पर छोड़ दिया जाना चाहिए जिसकी चार फरवरी को बैठक होनी थी। उन्होंने कहा कि डीडीएमए की अध्यक्षता उपराज्यपाल करते हैं और जिसमें विभिन्न उच्च पदस्थ राज्य पदाधिकारी शामिल हैं। वे राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के प्रबंधन के संबंध में कई मापदंडों और सामग्री के आधार पर निर्णय लेने के लिए नियमित रूप से बैठक करते हैं।
याचिकाकर्ता के वकील अतुल सिंह ने तर्क दिया कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि जब सिनेमा हॉल, मॉल, रेस्तरां आदि को 50 प्रतिशत क्षमता पर संचालित करने की अनुमति दी गई तो आउटडोर नो-कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि कोविड-19 मामलों की संख्या में कमी के साथ-साथ सकारात्मकता दर और आउटडोर खेलों पर प्रतिबंध से कई खिलाड़ी प्रभावित हुए हैं।