संवाददाता , दया शंकर पाण्डेय
राजनीति और अपराध की मिलीभगत? सपा नेता गुलशन यादव फिर सुर्खियों में
प्रतापगढ़ जिले की राजनीति और अपराध एक बार फिर आमने-सामने नजर आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष गुलशन यादव, जिनके सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से भी करीबी रिश्ते बताए जाते हैं, पर अब ₹1 लाख का इनाम घोषित कर दिया गया है। ADG जोन प्रयागराज ने यह इनाम सार्वजनिक रूप से घोषित किया है।
यह खबर सामने आते ही पूरे जनपद में हलचल मच गई है और कई गंभीर सवाल भी खड़े हो गए हैं — क्या गुलशन यादव कानून से ऊपर हो गए हैं? क्या पुलिस और STF जैसी एजेंसियाँ भी अब उन्हें नहीं पकड़ सकतीं?
53 आपराधिक मुकदमे, करोड़ों की संपत्ति कुर्क — लेकिन गिरफ्तारी शून्य!
गुलशन यादव पर कुल 53 संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन मामलों में हत्या, लूट, रंगदारी, अवैध कब्जा, गैंगस्टर एक्ट आदि जैसी गंभीर धाराएं शामिल हैं।
अब तक उनके खिलाफ 7 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति भी कुर्क की जा चुकी है, लेकिन वह सालों से फरार हैं।
इसके बावजूद पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने में विफल रही है।
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ADG प्रयागराज जोन का बड़ा फैसला: ₹1 लाख का इनाम
“अपर पुलिस महानिदेशक (ADG), प्रयागराज जोन” द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि:
“थाना कुण्डा से संबंधित वांछित अभियुक्त गुलशन यादव, निवासी मऊदारा, मानिकपुर, प्रतापगढ़ पर ₹1 लाख का नकद इनाम घोषित किया गया है।”
इस आदेश के बाद प्रतापगढ़ पुलिस को गुलशन यादव की गिरफ्तारी के लिए और अधिक दबाव में देखा जा रहा है।
एएसपी पश्चिमी संजय राय ने कहा…
news time nation Pratapgarh संवाददाता से बातचीत में अपर पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी) श्री संजय राय ने कहा:
“हम लगातार गुलशन यादव की तलाश में दबिश दे रहे हैं। इनाम घोषित करने का उद्देश्य है कि कोई भी नागरिक यदि उसके बारे में पुख्ता सूचना दे, तो उसे इनाम की राशि दी जाएगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गुलशन यादव पर सिर्फ केस ही नहीं, बल्कि गंभीर सामुदायिक प्रभाव भी है और वह कानून व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं।
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सालों से फरार, STF भी नहीं ढूंढ पाई
गुलशन यादव सिर्फ प्रतापगढ़ पुलिस के लिए ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के लिए भी सिरदर्द बने हुए हैं।
कई वर्षों से फरार होने के बावजूद, उनके ऊपर कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है।
news time nation Pratapgarh की पड़ताल में सामने आया कि STF ने भी कई बार ऑपरेशन चलाया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।
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राजनीतिक संरक्षण या प्रशासनिक कमजोरी?
अब सवाल यह है कि:
- जब 7 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क हो चुकी है,
- जब ADG स्तर पर इनाम घोषित हो चुका है,
- जब 53 से अधिक आपराधिक केस दर्ज हैं,
तो फिर गुलशन यादव क्यों अब तक गिरफ्त से बाहर हैं?
इससे पुलिस की छवि, कार्यशैली, और राजनीतिक हस्तक्षेप पर सवाल उठ रहे हैं।
गुलशन यादव के भाई भी जेल में
गुलशन यादव के भाई छविनाथ यादव पहले से ही जेल में बंद हैं।
उन पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह अपराधी पृष्ठभूमि वाले प्रभावशाली दबंग नेता माने जाते हैं।
ऐसे में यह सवाल और भी प्रासंगिक हो जाता है कि एक भाई जेल में है और दूसरा कई सालों से फरार — यह कानून व्यवस्था का मज़ाक नहीं तो और क्या है?
पुलिस की मुठभेड़ों पर उठते सवाल
प्रतापगढ़ पुलिस आये दिन दावा करती है:
- “मुठभेड़ में अपराधी घायल”
- “इतना असला बरामद”
- “गिरफ्तारी हुई”
लेकिन जब बात गुलशन यादव की आती है, तो पुलिस की सक्रियता अचानक गायब हो जाती है।
आम जनता में नाराज़गी
news time nation Pratapgarh की टीम ने जब क्षेत्र में सर्वे किया तो सामने आया:
“आम जनता का भरोसा टूट रहा है। जो नेता अपराधी हो, और उसे राजनीतिक संरक्षण मिल रहा हो, तो आम आदमी कहां जाए?”
“इनाम घोषित करने से क्या होगा जब पुलिस गिरफ्तार ही नहीं कर पा रही है?”
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है मुद्दा
गुलशन यादव के इनामी घोषित होने की खबर पर सोशल मीडिया पर गहमागहमी है।
लोग सवाल कर रहे हैं:
- “क्या वाकई कानून सभी के लिए बराबर है?”
- “गुलशन यादव को राजनीतिक छत्रछाया प्राप्त है?”
- “अगर वह आम आदमी होता तो अब तक जेल में होता।”
गुलशन यादव का नेटवर्क अब भी सक्रिय
सूत्रों के अनुसार, गुलशन यादव के सपोर्टर्स और नेटवर्क अब भी प्रतापगढ़ के कई हिस्सों में सक्रिय हैं।
वे पुलिस को हर हरकत की जानकारी देते हैं और गुप्त रूप से गुलशन यादव के लिए काम कर रहे हैं।
क्या आगे होगी गिरफ्तारी या फिर महज़ एक और औपचारिकता?
news time nation Pratapgarh इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है।
प्रश्न अब सीधा है — क्या यूपी पुलिस, STF और एजेंसियाँ मिलकर इस हाई-प्रोफाइल इनामी अपराधी को पकड़ पाएंगी?
या फिर यह इनाम भी महज़ एक कागज़ी कार्यवाही बनकर रह जाएगा?
निष्कर्ष
गुलशन यादव का मामला प्रतापगढ़ की राजनीति, कानून व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गहरी चोट करता है।
जहाँ एक ओर इनाम घोषित किया जाता है, संपत्ति कुर्क होती है, वहीं दूसरी ओर कोई गिरफ्तारी नहीं होती।