हरदोई, उत्तर प्रदेश
तारीख: 2 सितंबर 2025
रिपोर्ट: News Time Nation Hardoi
पुलिस हिरासत में युवक की संदिग्ध मौत से हरदोई में मचा बवाल
उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के सांडी थाना क्षेत्र में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत ने पूरे जिले को हिला कर रख दिया है। मृतक की पहचान रवि लोधी के रूप में हुई है। रवि लोधी की मौत के बाद लोधी समाज में भारी आक्रोश फैल गया और सैकड़ों की संख्या में समाज के लोग सड़कों पर उतर आए, जिससे तनावपूर्ण स्थिति बन गई।
इस दुखद घटना के बाद पूरे क्षेत्र में पुलिस प्रशासन अलर्ट पर है, और कई इलाकों में भारी फोर्स तैनात कर दी गई है।
कौन था रवि लोधी?
रवि लोधी, उम्र लगभग 26 वर्ष, एक आम किसान परिवार से ताल्लुक रखता था। ग्रामीणों और परिजनों के अनुसार, रवि को 1 सितंबर को सांडी पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था। लेकिन अगले ही दिन रवि की मौत की सूचना उसके घरवालों को मिली।
परिजनों का आरोप है कि रवि को हिरासत में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिससे उसकी मौत हुई।
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लोधी समाज का सड़कों पर विरोध प्रदर्शन
रवि लोधी की मौत की खबर जैसे ही फैली, सैकड़ों की संख्या में लोधी समाज के लोग हरदोई के विभिन्न हिस्सों से एकत्र होकर सांडी थाना और जिला मुख्यालय के सामने पहुंच गए।
लोगों ने नारेबाजी करते हुए “पुलिस प्रशासन हाय-हाय”, “रवि लोधी को न्याय दो”, “हिरासत में हत्या बंद करो” जैसे नारों के साथ प्रदर्शन और रास्ता जाम किया।
प्रमुख मांगें:
- दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल 302 (हत्या) का मुकदमा दर्ज हो
- पीड़ित परिवार को 50 लाख मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी
- पूरे मामले की न्यायिक जांच हाई कोर्ट के जज से कराई जाए
- सांडी थाने के सभी स्टाफ को तत्काल निलंबित किया जाए
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पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
रवि की मां गायत्री देवी ने फूट-फूट कर कहा:
“मेरा बेटा कभी किसी झगड़े में नहीं पड़ा। पुलिस ने बिना किसी कसूर के उसे मार डाला। हमें न्याय चाहिए, वरना हम चैन से नहीं बैठेंगे।”
रवि के भाई सौरभ लोधी ने बताया कि पुलिस ने पहले हिरासत की बात छिपाई और बाद में सिर्फ एक फोन पर मौत की सूचना दी गई।
घटनास्थल से दृश्य
News Time Nation Hardoi की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची, तो पाया गया कि:
- थाना सांडी के बाहर RAF और PAC तैनात है
- क्षेत्रीय दुकानों को बंद करा दिया गया
- समाज के युवा और बुजुर्ग धरना स्थल पर बैठे हैं
- गांव में शोक और आक्रोश दोनों का माहौल है
पुलिस का पक्ष
हरदोई पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा:
“रवि लोधी को एक आपराधिक मामले में पूछताछ के लिए लाया गया था। थाने में ही उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।”
एसपी ने कहा कि मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए जा चुके हैं और पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई जा रही है।
राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस गंभीर मुद्दे पर राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रिया दी:
समाजवादी पार्टी:
पूर्व मंत्री ने ट्वीट किया:
“हरदोई में पुलिस हिरासत में रवि लोधी की मौत योगी सरकार की पुलिसिया तानाशाही का सबूत है। दोषियों पर सख्त कार्यवाही हो।”
कांग्रेस:
जिलाध्यक्ष ने कहा:
“कांग्रेस कार्यकर्ता पीड़ित परिवार के साथ हैं। दोषी अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए।”
बहुजन समाज पार्टी:
“लोधी समाज के साथ अन्याय नहीं सहेंगे। BSP प्रतिनिधिमंडल जल्द पीड़ित परिवार से मिलेगा।”
फोटो गैलरी (सुझावित WordPress ब्लॉक)
- थाने के बाहर जमा भीड़
- धरने पर बैठे लोधी समाज के लोग
- रवि लोधी की पुरानी तस्वीर
- सड़क जाम और पुलिस की तैनाती
- रवि के परिजनों की भावुक तस्वीरें
News Time Nation Hardoi का विश्लेषण
हरदोई जैसे शांत जनपद में इस प्रकार की घटना कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत, वह भी बिना किसी स्पष्ट आपराधिक रिकॉर्ड के — यह दर्शाता है कि मानवाधिकारों की अनदेखी हो रही है।
यह मामला सिर्फ रवि लोधी की मौत का नहीं, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल है।
कानूनी नजरिया
भारतीय कानून के तहत:
- पुलिस हिरासत में मौत कस्टोडियल डेथ के अंतर्गत आती है
- इसके लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) स्वतः संज्ञान ले सकता है
- IPC की धारा 302, 304A, 342 लागू हो सकती हैं
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, पोस्टमार्टम और मेडिकल रिपोर्ट अनिवार्य हैं
आगे की जांच
DM हरदोई ने मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दे दिया है। साथ ही, मामले में थानेदार को सस्पेंड कर दिया गया है।
जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
निष्कर्ष
हरदोई के सांडी थाना में रवि लोधी की मौत सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि पूरे समाज की आवाज बन गई है।
आज जब लोग न्याय के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं, तब प्रशासन को भी यह समझना होगा कि प्रशासनिक ताकत का इस्तेमाल जनहित के लिए हो, न कि निर्दोषों के शोषण के लिए।