अमेठी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के हालात और सरकारी दावों की कलई खुल गई….

एक लाश सबको बता दिया कि अमेठी में किस तरह लापरवाही बरती जा रही है…उस नौजवान की लाश काफी दर तक यूंही पड़ी रही लेकिन किसी ने भी उसे उठाने की जहमत नहीं उठाई..लेकिन हद तो तब हो गई जब पिता के फोन करने के बावजूद किसी अधिकारी ने मामले पर संज्ञान नहीं लिया…
इन तस्वीरों में अमेठी के सरकारी दावों की वो सच्चाई है जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान है.. ये लोग करीब 12 बजे दोपहर से एम्बुलेंस, पुलिस, और स्वास्थ्य कर्मियों की राह देख रहें थे.. क्योकिं 2 दिन पहले ही शहर से गांव आए अरुण मिश्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई… उसकी लाश को भेटुआ चौराहे के मार्केट के पास बंद दुकानो के सामने यूं ही फर्श पर फेंक दिया गया…
पिता ने बताया की उनका बेटा 2 दिन पहले ही नोयडा से गांव आया था, लेकिन उसकी तबीयत खराब हुई और वो डॉक्टर को दिखाने के लिए भेटुआ चौराहे पर आया था…लेकिन वो वापस नहीं लौटा…बेटे की तलाश करते हुए पिता रामराज जब डॉक्टर के क्लीनिक पर पहुंचे तो सामने की बंद दुकानों के पास उनके बेटे की लाश पड़ी हुई थी… पूछने पर पता चला की 12 बजे के करीब ही उनकी मृत्यु हो गई.. जैसे तैसे पिता ने अपने बेटे को उठा कर एक जगह रखा और अधिकारियों को मामले का जानकारी दी…लेकिन कई घंटे गुजर जाने के बाद एंबुलेंस मौके पर पहुंची और पीपीई किट देकर वापस चली गई…
सोनू ने बताया की एम्बूलेंस ने लाश को ले जाने से मना कर दिया जिसकी वजह से अब हमे ट्रैक्टर के जरिए उनकी लाश को ले जाना पड़ रहा है..
मानवता और प्रशासन की इतनी शर्मनाक तस्वीरो से आज सभी को एक बात सोचने पर मजूबर कर दिया है की क्या इसी दिन के लिए ही सरकार ने लोगो से घर घर जाकर वोट मांगे थे.. ताकि उनके अंतिम दिनो में भी उनका कोई सहारा ना बन पाए..

Khursheed Khan Raju

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