नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने कार्रवाई की है। दवा माफिया कौशल वोरा, पुनीत शाह और अस्पताल संचालक सरबजीत सिंह मोखा के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। कोरोना की दूसरी लहर में नकली इंजेक्शन का मामला सामने आया था। नमक और ग्लूकोज से इंजेक्शन बनाए थे।
गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में विजय नगर थाना पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह के सदस्यों को पकड़ा था। जांच में पता चला इंजेक्शन का कारखाना गुजरात के मोरबी में है। यह जानकारी मिली कि दवा माफिया कौशल वोरा, पुनीत शाह एक फॉर्म हाउस पर नकली इंजेक्शन बनाकर सुनील मिश्रा के माध्यम से इंदौर, भोपाल और जबलपुर में इंजेक्शन की सप्लाय कर रहा था। नमक और ग्लूकोज से नकली इंजेक्शन बनाए गए थे और कोरोना के कई मरीजों को ये इंजेक्शन लगाए गए। जबलपुर का अस्पताल संचालक सरबजीतसिंह मोखा खुद के अस्पताल में भर्ती मरीजों को नकली इंजेक्शन लगा रहा था। इस मामले में गुजरात, इंदौर, भोपाल व जबलपुर में केस दर्ज हुए थे।
दो महीने पूर्व ईडी ने विजय नगर टीआई से मामले की रिपोर्ट मांगी और दो दिन पहले इस मामले में केस दर्ज कर लिया। दरअसल इंजेक्शन के बैच से इनके नकली होने की शंका हुई थी। पुलिस को जांच में पता चला था कि आरोपियों ने जो इंजेक्शन बनाए वो एक ही बैच के थे। एक आरोपी ने इंजेक्शन बनाने के पहले मुंबई से रेमडेसिवीर इंजेक्शन खरीदा और हूबहू रैपर व शीशी खरीदी। उसने फॉर्म हाउस किराए पर लिया और रातों-रात इंजेक्शन बना डाले। मामला उजागर होने के बाद कोरोना के मरीजों में हड़कंप मच गया था। हर कोई ये सोचने लगा था कि उनको नकली इंजेक्शन तो नहीं लगा दिए।