इस्लामाबाद
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कर्ज में डुबा दिया है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पाकिस्तान के पास चीन के कर्ज को चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पाकिस्तान ने चीन के अलावा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी भारी मात्रा में कर्ज लिया हुआ है। पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब रुपये से भी ज्यादा हो चुका है। एक साल पहले हर एक पाकिस्तानी के ऊपर लगभग 75 हजार रुपये का कर्ज था।
चीन का कर्ज पाकिस्तान को डूबा रहा
चीन का कर्ज पहले से ही गर्त में डूबी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को और दबा रहा है। इस वित्तीय वर्ष के आखिरी में पाकिस्तान के ऊपर कुल विदेशी कर्ज 14 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा। इसमें लगभग आधा कर्ज चीन के वाणिज्यिक बैंकों का है। पाकिस्तान ने इन बैंकों से मुख्य रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से संबंधित परियोजनाओं के लिए कर्ज लिया हुआ है।
आईएमएफ और फिंच ने पाकिस्तान के कर्ज पर चेतावनी दी
इस साल अप्रैल में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी थी कि नीतिगत विफलता और बढ़ते आकस्मिक कर्ज के कारण पाकिस्तान की सार्वजनिक ऋण स्थिरता लगातार कमजोर हो रही है। मई में अंतरराष्ट्रीय रेटिंज एजेंसी फिंच ने पाकिस्तान को बी रेटिंग दी थी। फिंच ने कहा था कि यह रेटिंग पाकिस्तान के कमजोर सार्वजनिक वित्त, बाहरी वित्त की कमजोरियों और सरकार की विफलता को देखकर दिया गया है।
विश्व बैंक ने पाकिस्तान की श्रीलंका से तुलना की
विश्व बैंक की ऋण रिपोर्ट 2021 में पाकिस्तान को भारत और बांग्लादेश के मुकाबले काफी खराब रेटिंग की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान कर्ज के मामले में अब श्रीलंका के बराबर जाता दिखाई दे रहा है। इस रिपोर्ट में दक्षिण एशियाई देशों के कर्जों का विश्लेषण किया गया था। चीन ने श्रीलंका को भी अपने कर्ज के जाल में फांसकर हंबनटोटा पोर्ट पर अपना कब्जा जमा लिया है। इतना ही नहीं, श्रीलंका की विदेश नीति पर भी अब चीन का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
तो क्या डिफॉल्टर घोषित होगा पाकिस्तान
पाकिस्तान कर्ज को चुकाने में कभी भी डिफाल्टर घोषित नहीं हुआ है। एशिया टाइम्स के साथ बातचीत में इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तानी राजनीतिक वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और वित्तीय विश्लेषक फारुख सलीम ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय कर्ज को चुकाने में चूक नहीं की है। डिफॉल्टर होने का ऐलान हमेशा से कर्ज देने वाली एजेंसियां करती हैं। जो संस्थान आपको पैसा उधार देता है, वह कानूनी रूप से आपको डिफॉल्टर घोषित करने का हकदार है। आमतौर पर, वे एक संप्रभु राज्य को डिफॉल्टर घोषित नहीं करते हैं क्योंकि ऐसा करने से कर्ज के रूप में दिए गए पैसे को खोने का जोखिम बढ़ जाता है।
पाकिस्तान पर इन देशों और संस्थाओं का कर्ज
पाकिस्तान के सरकारी खजाने पर पहले से ही 2.6 अरब डॉलर के कई देशों का उधार, चीनी सरकार और वाणिज्यिक बैंकों के 9.1 अरब डॉलर का कर्ज, 1 अरब डॉलर के यूरोबॉन्ड/सुकुक और आईएमएफ के 1 अरब डॉलर के भुगतान का दबाव है। पाकिस्तान पर पेरिस क्लब का 33.1 बिलियन डॉलर का मल्टीलेटरल कर्ज, यूरोबॉन्ड और सुकुक जैसे अंतरराष्ट्रीय बांडों का 12 अरब डॉलर बकाया है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने संयुक्त अरब अमीरात और चीन से भी तीन-तीन अरब डॉलर की सुरक्षित जमा राशि हासिल की है। वहीं, 3 बिलियन डॉलर की एक और किश्त सऊदी अरब से मिलने जा रही है।
पाकिस्तान से संसद में दी कुल कर्ज की जानकारी
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को संसद को सूचित किया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान, पाकिस्तान के कर्ज में 16 ट्रिलियन रुपये (91 बिलियन डॉलर) की वृद्धि हुई है। वित्त और योजना मंत्रालयों के जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जून 2018 में पाकिस्तान का कुल कर्ज 25 ट्रिलियन ($ 142 बिलियन) था, जो अगस्त 2021 तक बढ़कर 41 ट्रिलियन ($ 233 बिलियन) हो गया।
कर्ज के ब्याज के रूप में चुकाए 42.4 बिलियन डॉलर
पाकिस्तान की सीनेट को शुक्रवार को बताया गया कि इस अवधि के दौरान आंतरिक कर्ज 16 ट्रिलियन रुपये (91 अरब डॉलर) से बढ़कर 26 ट्रिलियन डॉलर (148 मिलियन डॉलर) हो गया है। इसी तरह, इसी अवधि में विदेशी कर्ज 8.5 ट्रिलियन रुपये (48.3 बिलियन डॉलर) से बढ़कर 14.5 ट्रिलियन रुपये (83 बिलियन डॉलर) हो गया। इन कर्जों पर सरकार ने ब्याज के रूप में 7.46 ट्रिलियन ($ 42.4 बिलियन) का भुगतान किया है।