लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खुल गई…और ये पोल खोली है इस अस्पताल ने…इस टूटी बिखरी इमारत को देखकर ऐसा लगता है कि इसे 1857 की क्रांति से पहले बनाया गया था…जो इतिहास में गुम हो रही है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये इमारत कोई ऐतिहासिक नहीं बल्कि कुछ सालों पहले बना अस्पताल है…जो आज बदहाली के आंसू रो रहा है.
किसी जमाने में मशहूर शायर अदम गोंडवी ने क्या खूब लिखा था सरकारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी, ये आंकड़े झूठे हैं ये दावे किताबी है…ये शेर आज इस अस्पताल पर बिल्कुल फिट बैठता है… क्योंकि ये अस्पताल सरकार की सभी दावों को मुंह चिढा रहा है…ये मामला बाराबंकी के सतरिख का है जहां मौजूद तीर गांव के स्वास्थ्य उपकेंद्र की हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं…आप तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते हैं कि अस्पताल के नाम पर महज ये इमारत खड़ी है…जिसकी दीवारे झाड़ियों से ढकी हुई है तो वहीं दरवाजों पर ताला लगा हुआ है…जानकारी के मुताबिक इस स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के साथ साथ पूरे मेडिकल स्टाफ तैनात है लेकिन अफसोस तो ये है कि ये स्टाफ दिखाई नहीं देता…क्योंकि यहां कोई आता ही नहीं है…वहीं अगर सीएचसी की बात करें तो वो गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर है…जहां पहुंचने से पहले ही गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हो जाती है…बावजूद इसके कोई सुनने वाला नहीं है…ये खबर हमारे संवाददाता अंकित मिश्रा ने कवर की है…खैर अब देखने वाली बात तो ये होगी कि आखिर इस अस्पताल की हालत कब सुधरती है…