बिग बॉस विनर सिद्धार्थ शुक्ला का निधन हार्टअटैक से हो गया। महज 40 साल की उम्र में हार्टअटैक से मौत ने लोगों को स्तब्ध कर दिया। अबतक माना जाता रहा है कि हार्ट अटैक बुढ़ापे में ही पड़ता था, लेकिन सिद्धार्थ की मौत से यह सोच गलत साबित हुई है। बुजुर्गों की दिक्कत युवाओं में होने के पीछे कई कारण हैं। इस गंभीर मसले पर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने शहर के वरिष्ठ डॉक्टरों से उनकी राय जानी।
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसपी सिंह कहते हैं कि अनियमित जीवनशैली के कारण ही अब युवा भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। धूम्रपान, शराब का सेवन, खराब खानपान की आदत से बैड कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना ही प्रमुख वजह है। भारी शारीरिक कसरत के कारण हार्ट अटैक भी हो सकता है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आलोक मिश्रा के अनुसार, युवाओं में बढ़ता मोटापा व शारीरिक व्यायाम के लिए समय न निकालना भी हार्ट अटैक का कारण बन रहा है। बीपी व शुगर के मरीज युवा भी हो रहे हैं। सोने के समय जागना और जागने के समय सोना जीवन के लिए खतरनाक है।
पहले 50 पार वालों पर होता था खतरा :
मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ पीयूष सक्सेना कहते हैं कि पहले माना जाता था कि हार्ट अटैक पुरुषों को 50 व महिलाओं को 55 साल के बाद आता है, लेकिन बीते पांच साल में अब ऐसा नहीं रहा। कोलेस्ट्रॉल धीरे-धीरे शरीर में जमा होने लगता है। परिणामस्वरूप हार्ट अटैक पड़ता है। लाइफ स्टाइल में बदलाव के साथ बैठकर काम करने की आदत नुकसानदेय है। खेलना-कूदना अब बिल्कुल खत्म हो चुका है, यह भी घातक है। कॉल्विन हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राजेश श्रीवास्तव कहते हैं कि हार्ट अटैक अचानक नहीं आता। लंबे समय से शरीर में चल रही गड़बड़ियां इसकी मूल वजह हैं। आधुनिकता की चकाचौंध मे जंक फूड व एल्कोहल का बढ़ता सेवन धीरे-धीरे मौत के मुंह में ले जा रहा है। 40 की उम्र के बाद हर छह माह में कम से कम शरीर की जांच करानी चाहिए।
प्रतिस्पर्धा में दिमाग हो रहा कमजोर :
मनोचिकित्सक डॉ ईशान्या राज का मानना है कि प्रतिस्पर्धा के दौर में दिमाग लगातार चलता रहता है। शरीर भले ही ऊपर से मजबूत दिखता हो, लेकिन दिमाग उतना ही कमजोर होता है। नींद के लिए दवा खाना बेहद खतरनाक है। कोरोना काल में कई मामले ऐसे सामने आए, जिसमें लोगों की मानसिक कमजोरी ही उनकी मौत की वजह बनी।