कांग्रेस में बदलाव को लेकर अकसर मीडिया के सामने आकर लीडरशिप को खरी-खोटी सुनाने वाले G-23 समूह ने पार्टी पर पहली चोट कर दी है। जम्मू कश्मीर के 4 पूर्व मंत्रियों और 3 विधायकों ने बुधवार को अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिखकर पार्टी से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। कुल 20 नेताओं ने इस तरह पार्टी लीडरशिप पर ठीकरा फोड़ते हुए इस्तीफा दिया है। ये सभी नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी माने जाते हैं, जो जी-23 के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। ऐसे में इन इस्तीफों के पीछे उनकी भूमिका भी मानी जा रही है और इसे कांग्रेस लीडरशिप के लिए एक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि आने वाले समय में G-23 के नेता किस हद तक जा सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने के कयास लगाए जा रहे हैं और उससे पहले कांग्रेस को यह बड़ा झटका लगना चिंता की बात है। पार्टी से जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है, उनमें प्रमुख नाम जीएम सरूरी, विकार रसूल और डॉ. मनोहर लाल शर्मा के हैं। इसके अलावा पूर्व विधायकों जुगल किशोर शर्मा, गुलाम नबी मोगा, नरेश गुप्ता, मोहम्मद आमीन भट और सुभाष गुप्ता ने भी पार्टी छोड़ दी है। मोगा और रसूल ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने इस्तीफे के साथ ही पार्टी लीडरशिप को बदलाव के लिए खत लिखा है। प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर का नाम लिए बिना ही रसूल ने उन पर निशाना साधा।
रसूल ने कहा, ‘हमें बताया गया था कि उन्हें तीन साल के लिए प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा रहा है। लेकिन अब 7 साल हो गए हैं। लेकिन अब हमने पार्टी लीडरशिप को साफ तौर पर बता दिया है कि यदि नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया गया तो फिर हम कोई जिम्मेदारी नहीं संभालेंगे।’ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और जम्मू कश्मीर इंचार्ज रजनी पाटिल को लिखे इस्तीफे वाले पत्र में कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि गुलाम अहमद मीर के नेतृत्व में पार्टी बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। अब तक करीब 200 कांग्रेस नेता पार्टी को छोड़कर जा चुके हैं। इन लोगों में पूर्व मंत्री, विधायक, एमएलसी, प्रदेश कार्यकारिणी के नेता, जिलाध्यक्ष और राष्ट्रीय स्तर के नेता भी शामिल हैं।
इन नेताओं ने कहा कि कुछ लोगों ने जम्मू कश्मीर में पार्टी को हाईजैक कर लिया है। प्रदेश में बिना नेताओं से सलाह मशविरे के ही मनमाने ढंग से पद बांटे जा रहे हैं। नेताओं ने कहा कि पार्टी को लगातार चुनावों में हार का सामना करना पड़ रहा है। पहले हमें 2019 के आम चुनावों में हार का सामना करना पड़ा और फिर पंचायत चुनावों में भी बुरा हाल हो गया।