‘कांग्रेस मुक्त भारत’ ममता बनर्जी और बीजेपी का सपना है। यह दावा RSS से जुड़ी एक बंगाली पत्रिका में किया गया है। इन दावों से संबंधित एक आर्टिकल ‘स्वस्तिका’ में लिखी गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब इसे आधारहीन बताते हुए खुद को आधिकारिक तौर पर इस लेख से अलग कर लिया है। इधर तृणमूल कांग्रेस ने भी भगवान पार्टी से किसी भी तरह के समझौते को आधारहीन बताया है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब इनका चेहरा सामने आ गया है।
PM-ममता मुलाकात का जिक्र
इस आर्टिकल को निर्मल मुखोपाध्याय ने लिखा है। इसे 13 दिसंबर को मैग्जीन में प्रकाशित किया गया था। इस आलेख का शीर्षक था ‘Keno itihas muchte chaichen Mamata? Shilpo agroho na Sonia khotom?’ यानी ममता क्यों इतिहास मिटा रही हैं? निवेशकों को लुभाने के लिए या सोनिया को नष्ट करने के लिए? इस आलेख में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी की हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नई दिल्ली में हुई बैठक का जिक्र किया गया है। दावा किया गया है कि दोनों ने कांग्रेस-मुक्त भारत के सपने पर चर्चा की थी।
भाजपा के सपने को पूरा कर रहीं ममता
ऑथर ने लिखा, ‘उनके बदलती तेवरों से साफ हो गया है कि ये वहीं ममता बनर्जी नहीं हैं। नरेंद्र मोदी का सपना था कांग्रेस-मुक्त भारत। मुझे ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी भी अब इसी सपने पर विश्वास करने लगी हैं। इसलिए वो इतिहास को मिटाना चाहती हैं ताकि इस सपने को बेचा जा सके।’ लेखक ने यह भी लिखा है कि ममता बनर्जी के दिमाग में यह बात है कि वो अपने दुश्मनों और परिचित प्रतिद्धंदियों को अपने करीब ला रही हैं।
RSS ने दी यह प्रतिक्रिया
हालांकि लेख पर इस मैग्जीन के एडिटर तिलक रंजन बेरा की अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। आरएसएस के महासिचव जिश्नू बासु ने PTI से कहा कि अब तक उन्होंने यह आर्टिकल नहीं पढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘मैं अभी इस आर्टिकल को पढ़ने वाला हूं। इसलिए मैं इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता। लेकिन मैं इस तरह की किसी भी समझौते के बारे में नहीं जानता, सच्चाई यह है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा में 62 बीजेपी कार्यकर्ता मारे गए।’वहीं आरएसएस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह मैग्जीन आरएसएस से जुड़ी हुई है। इसके एडिटोरियन और प्रबंधन कमेटी में शामिल कई लोग आरएसएस बैकग्राउंड के हैं।