मुगलकाल से शुरू हुआ चिकनकारी का काम पूरे देश में मशहूर है. चिकनकारी का एक खूबसूरत आर्ट पीस लंदन के रॉयल अल्बर्ट म्यूजियम में विश्वभर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षक करता है. लखनऊ में चिकनकारी का कारोबार सालाना करीब 4 हजार करोड़ रुपये का है. करीब 20 हजार लोग इस कारोबार से जुड़े हैं. लखनऊ हर साल अपने एक्सपोर्ट से 2 अरब रुपये से ज्यादा विदेशी मुद्रा कमाकर देता है.
चिकन के धुले वस्त्र करीब 40 डिग्री तापमान पर सुखाए जाते हैं. कटाई, सिलाई, रंगाई, कढ़ाई, धुलाई और सुखाने के बाद चिकन के वस्त्र इस तरह गठरी में भर कर रिक्शे पर लाद कर वर्कशॉप में ले जाए जाते हैं, जहां इनकी बेहतरीन पैकिंग कर इन्हें विदेश भी भेजा जाता है. कभी चिकन का बाजार लखनऊ का चौक ही हुआ करता था, लेकिन अब पूरे लखनऊ में चिकन के शोरूम खुल गए हैं जहां ये कपड़े सजा कर रखे जाते हैं.