गुजरात में BJP के ‘विजय’ प्लान में अनफिट थे रूपाणी, यह है इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी

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सुबह जब गुजरात के मुख्यमंत्री पीएम के साथ वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे तो किसी को अंदाजा नहीं था कि शाम होते-होते उनकी कुर्सी चली जाएगी। हालांकि विजय रूपाणी हटाए जाने की चर्चा काफी समय से चल रही थी। लेकिन अभी उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया इसको लेकर अटकलबाजियों का दौर तेज है। वैसे बताया जा रहा है कि विजय रूपाणी भाजपा के गुजरात विजय के प्लान में फिट नहीं बैठ रहे थे।आइए जानते हैं आखिर कौन सी वजहें रहीं, जिसके चलते विजय रूपाणी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

वजह नंबर 1: बेहतर परफॉर्मेंस का दबाव
पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में बहुत मुश्किल से जीत हासिल की थी। इसके बाद किसी तरह चार साल तक मामला चला, लेकिन जबकि चुनाव को एक साल बचा है, पार्टी यहां कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। सीआर पाटिल के अध्यक्ष बनने के बाद रूपाणी के लिए मुश्किलें और बढ़ गई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमित शाह के करीबी होने के नाते रूपाणी की कुर्सी अभी तक बची हुई थी। लेकिन सीआर पाटिल ने अब पार्टी से स्पष्ट कर दिया था कि अगर अगले साल चुनाव में बड़ी जीत हासिल करनी है तो फिर नेतृत्व परिवर्तन करना होगा।

वजह नंबर 2: जातीय समीकरण में अनफिट
विजय रूपाणी को फेस बनाकर पार्टी अगले चुनाव में नहीं उतरना चाहती थी। इसके पीछे एक बड़ी वजह थी गुजरात का जातीय समीकरण। रूपाणी कास्ट न्यूट्रल थे और उनके रहते पार्टी के लिए जातीय समीकरण साध पाना मुश्किल हो रहा था। गुजरात के जातीय समीकरण को साधने के लिए ही कुछ समय पहले केंद्र के मंत्रिमंडल विस्तार में मनसुख मंडाविया को जगह दी गई थी।

वजह नंबर 3: सीआर पाटिल से मनमुटाव
विजय रूपाणी के गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटने की सबसे बड़ी वजह प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल से मनमुटाव रही। पाटिल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही दोनों के बीच बन नहीं रही थी। असल में पाटिल ने पार्टी नेतृत्व के सामने इरादा जाहिर किया है कि वह प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करना चाहते हैं। उनके इस प्लान में विजय रूपाणी फिट नहीं बैठ रहे थे। ऐसे में उन्हें रास्ता खाली करना पड़ा।

वजह नंबर 4: पीएम की नाराजगी
रूपाणी के लिए कोरोना की दूसरी लहर भारी मुसीबत बनकर आई। इस दौरान गुजरात में मिसमैनेजमेंट की कई खबरें बाहर आईं। सूत्रों का दावा है कि इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुश नहीं थी। अपने गृह प्रदेश में इस तरह की लापरवाही होती देख, पीएम मोदी काफी ज्यादा परेशान थे। यही वजह रही कि उन्होंने भी गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन पर कोई सवाल नहीं उठाया।

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