न्यूयॉर्क पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करने का अनुभव साझा किया। इस दौरान उन्होंन पीएम की नेतृत्व क्षमता की भी तारीफ की और कहा कि बड़े फैसलों के नतीजों को संभालना भी उनका एक खास गुण हैं। वह ‘Modi@20: Dreams Meet Delivery’ किताब से जुड़े एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
विदेश मंत्री ने साल 2016 में अफगानिस्तान में भारतीय कॉन्स्युलेट पर हुए हमले का दौर याद किया। उन्होंने कहा, ‘आधी रात हो रही थी और अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में हमारे कॉन्स्युलेट पर हमला हुआ था और हम क्या हुआ है, यह पता लगाने के लिए फोन का इस्तेमला कर रहे थे।’ उन्होंने कहा, ‘यह सब चल ही रहा था और आप फोन के जरिए सभी को जानकारियां दे रहे थे। इसके बाद मेरा फोन बजा। जब प्रधानमंत्री कॉल करते हैं, तो कोई कॉलर आईडी नहीं आती। उनका पहला सवाल था- जागे हो?’
कैसी थी पीएम से पहली मुलाकात ?
जयशंकर कहते हैं, ‘मोदी जी से मिलने से पहले मैं उन्हें पसंद करता था। जैसा की लोग शिकायत करते हैं कि मैं कुछ स्तर पर लोगों को काम में व्यस्त रखता हूं। मैं परेशान करने वाला हो सकता हूं, लेकिन जिस स्तर की तैयारी उन्होंने की थी, वह तारीफ के काबिल है।’
विदेश मंत्री बताते हैं कि पीएम मोदी अपने दिन की शुरुआत सुबह 7.30 बजे कर देते हैं… और यह जारी रहता है और रुकता नहीं है, ‘जबकि, अन्य शायद रुक जाते हैं।’
उन्होंने बीते साल अफगानिस्तान संकट का दौर भी याद किया, जब मुल्क में अफगानिस्तान ने विद्रोह तेज कर दिया था और काबुल पर कब्जा कर लिया था। उस दौरान भारत ने अफगानिस्तान छोड़ने की इच्छा रखने वाले सभी नागरिकों को बचाव अभियान के जरिए सुरक्षित निकाला।
विदेश मंत्री ने आगे बताया कि पीएम ने उनसे पूछा, ‘जागे हो?… अच्छा टीवी देख रहे हो… तो क्या हो रहा है वहां।’ जयशंकर ने पीएम से बातचीत को लेकर बताया, ‘मैंने उन्हें कहा कि इसमें कुछ घंटे और लगेंगे और मैं उनके कार्यालय में कॉल कर दूंगा। इसपर उन्होंने जवाब दिया- मुझे फोन कर देना।’ उस दौरान भारत लगातार लोगों को देश से सुरक्षित बाहर निकालने के अभियान में सहयोग कर रहा था।