जॉन जैकब एस्टर और इसीडोर स्ट्रॉस जैसे अमीर यात्रियों ने जान से ज्यादा नैतिकता को चुना, बच्चों और स्त्रियों को दी जीवन की आखिरी उम्मीद।
1912 का टाइटैनिक हादसा आज भी दुनिया को इंसानी हिम्मत और कमजोरियों की याद दिलाता है। इस दुर्घटना में हजारों यात्रियों की जान गई, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी भी थीं, जिन्होंने मानवता और नैतिक मूल्यों की मिसाल कायम की।

करोड़पति जॉन जैकब एस्टर IV
टाइटैनिक पर सवार करोड़पति जॉन जैकब एस्टर IV के बैंक खाते में इतनी दौलत थी कि उससे लगभग 30 टाइटैनिक बनाए जा सकते थे। लेकिन जब जहाज डूब रहा था, उन्होंने अपनी जान बचाने से पहले दो बच्चों को लाइफबोट में जगह देकर मानवता का परिचय दिया। धन और शक्ति उनके पास थी, मगर उस कठिन समय में उन्होंने इंसानियत को चुना।
“मैसीज़” के सह-मालिक इसीडोर स्ट्रॉस
अमेरिका के मशहूर डिपार्टमेंटल स्टोर “मैसीज़” के सह-मालिक इसीडोर स्ट्रॉस भी टाइटैनिक पर मौजूद थे। जब उन्हें लाइफबोट में बैठने का अवसर मिला तो उन्होंने कहा—
“मैं कभी भी अन्य पुरुषों से पहले लाइफबोट में नहीं जाऊँगा।”
उनकी पत्नी इडा स्ट्रॉस ने भी अपने पति का साथ छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपनी जगह अपनी नौकरानी एलेन बर्ड को लाइफबोट में भेजा और स्वयं अपने पति के साथ आखिरी सांस तक जहाज पर रहीं।
इंसानियत की अमर मिसाल
ये प्रसंग बताते हैं कि असली अमीरी दौलत से नहीं बल्कि नैतिकता और साहस से होती है। टाइटैनिक के इन धनवान यात्रियों ने अपनी जान देकर यह संदेश दिया कि संकट की घड़ी में भी इंसानियत को सबसे ऊपर रखना चाहिए।