साल 2021 खत्म होने के करीब है। यह पूरा साल पेट्रोल-डीजल इंजन वाली गाड़ियों के लिए अच्छा नहीं रहा है। चिप संकट के कारण ऑटो कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और इससे जुड़े बाजार के लिए यह एक बेहतरी साल रहा है।
कोरोना के बाद साल 2020 में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में 26 फीसदी की बड़ी गिरावट आई थी। वहीं, जनवरी से नवंबर के बीच भारतीय ईवी का मार्केट साइज दोगुना हो गया है। इस पूरे साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बाजार में खूब हलचल देखने को मिला है। वाहन विशेषज्ञों का कहना है कि नया साल यानी 2022 भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के नाम होने वाला है। भारतीय सड़कों पर इलेक्ट्रिक गाड़ियां फर्राटा भरती दिखेंगी।
दोहपिया बाजार में भी धमक
भारतीय वाहन बाजार में दोपहिया का दबदबा रहा है। साल 2029 से पहले कार के मुकाबले दोहपिया वाहनों की बिक्री का अनुपात 6:1 था। वहीं, दोपहिया में इलेक्टिक बाइक की हिस्सेदारी 12:1 का था। वहीं, 2021 के नवंबर आते-आते दोहपिया वाहनों की बिक्री में 4.6 फीसदी का उछाल आ गया और कुल 126,813 यूनिट की बिक्री हुई। यह बड़ा बदलाव आम पेट्रोल की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी आने और बाजार में इलेक्ट्रिक बाइक की उपलब्धता बढ़ने से हुई है। कई स्टार्टअप इलेक्ट्रिक बाइक बना रहे हैं।
बैटरी की लागत घटने से कीमत घटी
इलेक्ट्रिक बाइक की मांग बढ़ने के पीछे एक वजह यह भी है कि इसके चलाने का खर्च पेट्रोल इंजन के मुकाबले काफी कम है। इसके साथ ही बैटरी की लगत कमने से कीमत भी घटी है। इससे इससे अधिक संख्या में लोग खरीद रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण ने भी इलेक्ट्रिक बाइक की मांग बढ़ाने में बड़ी भूमिका अदा की है।
इंफ्रा पर जोर से बढ़ा विश्वास
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री बढ़ाने में विश्वास बहाली का भी बड़ा रोल है। सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए जरूरी इंफ्रा यानी चार्जिंग स्टेटशन लगाने पर पूरा जोर दे रही है। इसमें बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी औैर दूसरी पहल भी की जा रही है। इससे भी लोगों में भरोसा बढ़ा है और वे इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीद रहे हैं।