नोटबंदी के पांच साल सोमवार को पूरे हो गए। इस दौरान शहर में कैश फ्लो बढ़ गया। साथ ही नकली नोटों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो गई। बैंक खातों में बिना इनकम टैक्स दिए लाखों रुपए जमा करने वाले आज भी 2300 केस लंबित हैं। नोटबंदी का मकसद कालेधन पर लगाम लगाने के साथ नकली करेंसी पर भी अंकुश कसना था। आरबीआई की 27 मई को जारी रिपोर्ट के मुताबिक नकली नोटों के सौदागरों ने नई करेंसी को भी नहीं छोड़ा।
नोटबंदी के बाद 100, 200 और 500 रुपए की नई करेंसी आरबीआई ने लांच की थी। वित्त वर्ष 2018 में सौ रुपए के 2.21 लाख नकली नोट पकड़े गए थे। वर्ष 2021 में भी 1.10 लाख नकली नोट सीज किए गए। दो सौ के नकली नोटों की संख्या में सबसे ज्यादा तेजी आई है। वर्ष 2018 में जहां 12728 नकली नोट पकड़े गए थे, वहीं 2021 में ये संख्या बढ़कर 24245 हो गई। पांच सौ की नई करेंसी ने भी नकली मामले में तेजी पकड़ी है। वर्ष 2018 में 21865 नकली नोट पकड़े गए थे, जो 2021 में बढ़कर 39453 हो गए।
2300 से ज्यादा मामले आयकर विभाग में
नोटबंदी के बाद बैंकों में धन जमा करने की होड़ मच गई थी। इस चक्कर में बड़ी संख्या में एसे लोगो ने भी लाखों रुपए खातों में जमा कर दिए, जिन्होंने जिंदगी में कभी इनकम टैक्स नहीं दिया था। आयकर विभाग के बिग डाटा सॉफ्टवेयर ने बैंक खातों में क्षमता से ज्यादा जमा ऐसे हजारों खातों को स्क्रूटनी के लिए चुना।
वर्ष 2016 के बाद आयकर विभाग में 24500 से ज्यादा आय से अधिक केस आए। जांच के बाद 16 हजार से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे गए। नौ सराफा कारोबारियों की फाइल खोल दी गई क्योंकि उन्होंने नोटबंदी की घोषणा के बाद दो दिन के अंदर कुल 550 करोड़ रुपए बैंक खातों में बिक्री के जमा किए। 1800 से ज्यादा जनधन खातों में तीन से बीस लाख रुपए तक जमा किए गए, जिन्हें जांच के दायरे में लिया गया। आज भी 2300 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
कानपुर में 62 हजार करोड़ से बढ़कर 99 हजार करोड़ हो गया कैश फ्लो
रिजर्व बैंक के मुताबिक नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 को देश में चलन में रहने वाले कुल नोटों का मूल्य 17.74 लाख करोड़ रुपये था लेकिन यह बढ़ते हुए इस साल 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गई। यानी नोटबंदी के बाद से अब तक वैल्यू के लिहाज से नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़त हुई है। कानपुर में नोटबंदी से पहले करीब 62 हजार करोड़ रुपए सर्कुलेशन में थे। आज से बढ़कर 99 हजार करोड़ रुपए हो गए हैं।