उत्तर प्रदेश में विधान सभा के तीसरे चरण का चुनाव रविवार को संपन्न होना है। चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है। इसी बीच
सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उनके पिता मुलायम सिंह यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव को एक साथ चुनाव प्रचार करते कई वर्षों बाद देखा गया है। आखिरी बार वर्ष 2016 में 2017 के विधान सभा से पहले लखनऊ में समाजवादी विकास रथ को हरी झंडी दिखाते वक्त इस तिकड़ी को एक साथ देखी गई थी। जिसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वारल हो रहा है।
आपको बता दें कि वर्ष 2016 में अखिलेश और उनके चाचा के बीच पारिवारिक विवाद होने के कारण उनके रास्ते अलग हो गए थे। फिर उसके बाद शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का स्थापना किया। पीएसपी 2019 के लोकसभा के चुनाव में प्रदेश में एक भी सीट नहीं जीत पाई। अब पीएसपी सपा से गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी है। ये तीकड़ी इटावा में अखिलेश के नेतृत्व वाली गठबंधन का प्रचार कर रहे थे। गौरतलब है कि इटावा कभी सपा का गढ़ माना जाता था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि चाचा की वापसी आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हराने में मदद करेगी। समाजवादी पार्टी के समाजवादी विजय रथ की शुरूआत गुरूवार को इटावा के लायन सफारी से हुई। रथ यात्रा के शुभारंभ के दौरान शिवपाल और मुलायम सिंह यादव ने सपा और उसके सहयोगी दलों के लिए प्रचार किया।
बता दें कि मुलायम परिवार में वर्ष 2016 में किस वजह से विवाद हुआ था, ये साफ नहीं था। लेकिन तथाकथित रूप से यह कहा जा रहा था कि शिवपाल और अखिलेश में वर्चस्व को लेकर रास्ते अलग हुए थे। वर्ष 2017 के चुनाव से पहले अखिलेश यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए और शिवपाल ने खुद की पार्टी बना ली। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा कांग्रेस के साथ गंठबंधन कर विधान सभा चुनाव में उतरी थी। जिसमें अखिलेश को करारी हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषको का मानना था कि शिवपाल यादव का पार्टी में न होना ही चुनाव हारने का प्रमुख कारण था। इसी वजह से इस बार अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल के पार्टी से गठबंधन करके किसी भी प्रकार के पुर्वाग्रह से बचना पसंद किए।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दो चरणों के लिए 10 और 14 फरवरी को मतदान संपन्न हुआ, जबकि अभि शेष पांच चरणों के चुनाव 20, 23, 27 फरवरी, 3, 7 मार्च को होगा। चुनाव परिणाम 10 मार्च को आएगा।