चौरी चौरा महोत्सव से वर्चुअली जुड़े पीएम नरेन्द्र मोदी ने चौरी चौरा पर एक डाक टिकट जारी किया। उन्होंने रिमोट कंट्रोल से टिकट के प्रारूप का अनावरण किया। पीएम मोदी ने भोजपुरी में…प्रमाण करत बानीं…कहकर अपने भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा सौ वर्ष पहले चौरी चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक थाने में आग लगा देने की घटना नहीं थी। चौरीचौरा का संदेश बहुत बड़ा था। अनेक वजहों से इसे सिर्फ एक आगजनी के स्वरूप में ही देखा गया। दुर्भाग्य है कि चौरी चौरा के शहीदों की इतनी चर्चा नहीं हुई जितनी होनी चाहिए थी लेकिन यह एक स्वत: स्फूर्त संग्राम था। इतिहास के पन्नों में भले जगह नहीं दी गई। आजादी के स्वतंत्रता संग्राम में उनका खून देश की माटी में मिला हुआ है।
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के 75 वें वर्ष में ऐसे समारोह का होना इसे और भी प्रासंगिक बना देता है। चौरी चौरा क्रांति से जुड़े लोग अलग-अलग गांवों और अलग-अलग पृष्ठभूमि के थे। लेकिन वे सब मिलकर मां भारती की संतान थे। स्वतंत्रता संग्राम में ऐसी कम ही घटनाएं हुई होंगी जिसमें किसी एक घटना पर 19 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया हो। अंग्रेज सरकार तो और बड़ी संख्या में फांसी देने पर तुली थी लेकिन बाबा राघव दास और महामना मालवीय जी के प्रयासों से 118 लोगों को बचा लिया गया था। यह इन दोनों महापुरुषों को भी प्रमाण करने का अवसर है। खुशी है कि प्रतियोगिता के माध्यय से युवाओं को जोड़ा जा रहा है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने भी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर युवा लेखकों को स्वतंत्रता सेनानियों, घटनाओं पर किताब लिखने के लिए आमंत्रित किया है। चौरी चौरा कांड के ऐसे कितने सेनानी है जिन्हें सामने ला सकते हैं।