देश में ज्यादातर नौकरीपेशा लोगों के लिए एम्प्लॉइज प्रॉविडेंट फंड (EPF) भविष्य के लिए बचत (Saving), मुनाफा (Return) और टैक्स बचत (Tax Saving) का शानदार ऑप्शन रहा है। कर्मचारी 12 फीसदी योगदान राशि को नियमों के अनुसार अपनी इच्छा से बढ़ाकर जमा कराते रहे हैं। जिसे वॉलेंयटरी प्रॉविडेंट फंड (VPF) कहते है।
मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक, ईपीएफ, वीपीएफ और इग्जम्प्टेड प्रोविडेंट फंड ट्रस्ट्स (EPFT) के ब्याज पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है।
देश में ईपीएफ और वीपीएफ के नियमों में ये बदलाव 1 अप्रैल 2021 होने जा रहा है। दरअसल आम बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ईपीएफ में 2.50 लाख रुपये से अधिक सालाना जमा करने को टैक्सेबल बना दिया है। आसान भाषा में बोले तो एक साल में 2.5 लाख रुपये से ऊपर के प्रॉविडेंट फंड कन्ट्रीब्यूशन से मिलने वाले ब्याज पर अब नॉर्मल रेट्स से इनकम टैक्स लिया जाएगा।
सरकार ने राजस्व घाटे (Revenue Deficit) की भरपाई के लिए यह कदम उठाया है।
केंद्र सरकार का मानना है कि इससे एक प्रतिशत से भी कम कर्मचारी प्रभावित होंगे। सरकार का कहना है कि ईपीएफ में सालाना 2.5 लाख से ज्यादा का योगदान करने वाले कर्मचारियों की संख्या 1 फीसदी से भी कम है।
बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंशधारकों की संख्या 6 करोड़ से अधिक है।
सरकार के इस कदम से सालाना 20.83 लाख रुपये से ज्यादा कमाई वाले कर्मचारी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। नए नियम से वीपीएफ में पैसे जमा करने वालों का संख्या में कमी आने की आशंका भी है।