बालश्रम के दलदल में फंसे बचपन पर जुर्म का साया

आप दिल्ली में हैं, तो जरा सोचिये…रेड लाइट पर आपकी कार के सामने भीख मांगने वाली बच्ची कहां से आई है। इसकी क्या पहचान है। रेलवे स्टेशन के बाहर रखे बैग से सामान चोरी कर या मोबाइल झपट कर भागने वाला बच्चा कौन है… शायद इसका उत्तर नहीं मिल पाए। लेकिन सच यह है कि ये सब वो बच्चे हैं, जिनका बचपन बालश्रम की भट्टी में झोंक दिया गया। इन्हीं में से अनेक बच्चे चोरी व झपटमारी की छोटी-छोटी वारदात करते हुए अपराध की दुनिया की तरफ कदम बढ़ा देते हैं। मुमकिन यह भी है सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों में किसी को अपहरण या तस्करी कर लाया गया हो और यहां पर अपराधियों ने अपने काम पर लगा दिया।

केस-1
कुछ समय पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम दिल्ली के मुस्तफाबाद स्क्रैप मार्केट में पहुंची। यहां खराब लैपटॉप, टीवी, मोबाइल का ढेर लगा मिला। इस कबाड़ के ढेर के बीच 15 साल का सुलेमान टीवी ट्यूब को सुलगाकर उससे कॉपर वायर निकाल रहा था। सुलेमान ने आयोग की टीम को बताया कि वह ऐसे माहौल में हर दिन 10-12 घंटे काम करता है।

केस-2

दिल्ली पुलिस ने कुछ समय पहले एक गिरोह पकड़ा। सरगना बच्चों को काम देने के बहाने फंसाता था और फिर ट्रेनिंग देकर उनसे शादियों में चोरी करवाता था। पुलिस ने बताया कि कि उस गिरोह का नाम बैंड बाजा बरात था।

केस-3
दिल्ली पुलिस की द्वारका टीम ने फरवरी-2021 में मानव तस्करों का गैंग पकड़ा। गैंग बिहार, बंगाल, झारखंड से बच्चों को दिल्ली लाता था। बाल मजदूरी के साथ ही जेब कतरना, चोरी जैसे अपराध करवाता था और बदले में कुछ रुपये देता था। पुलिस ने गिरोह के चंगुल से चार बच्चों को मुक्त करवाया।

घरों तक की चोरी में बच्चे शामिल
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2020 की रिपोर्ट पर गौर करें तो दिल्ली में बाल अपराधों में चोरी व झपटमारी जैसे मामले बढ़े हैं। एक साल में पुलिस के पास ऐसे 1141  मामले पहुंचे। इनमें घर के अंदर चोरी, वाहन चोरी जैसी घटनाएं शामिल हैं। लूट व डकैती जैसे अपराधों में भी बच्चों की संलिप्तता सामने आई है।

How we can eliminate child labour, according to the experts | World  Economic Forum

बच्चों के लापता होने की बढ़ रहीं घटनाएं
छोटे-छोटे बच्चों के लापता होने की घटनाएं भी दिल्ली में कम नहीं हैं। एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक 2020 में दिल्ली से 3748 बच्चे लापता हुए या अपह्त कर ले जाए गए। इनमें से 1748 का कोई पता नहीं लगा। बच्चों की तस्करी के भी 40 केस एक साल में दर्ज हुए हैं।

कोविड के बाद बढ़ा खतरा
कोविड की पहली लहर में पलायन और उसके बाद दूसरी लहर में मौतों व बेरोजगारी जैसे कारणों की वजह से बालश्रम बढ़ा है। कितना बालश्रम बढ़ा है इसका कोई रिकॉर्ड दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग या राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास नहीं हैं, लेकिन यूनिसेफ जैसी संस्था अपनी रिपोर्ट जारी कर आगाह कर चुकी है। उस रिपोर्ट पर दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी हालात संभाले रखने की कोशिशों में लगा हुआ है। सेव द चिल्ड्रेन की डायरेक्टर (पॉलिसी एंड प्रोग्राम इंपेक्ट) नमृता कहती हैं कि बालश्रम की यथास्थिति समझने के लिए समय-समय पर सर्वे एवं योजनाओं में उनके अनुरूप बदलाव की जरूरत है।

इन इलाकों में बालश्रम से जुड़े मामले ज्यादा
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक एक्शन सर्वे की रिपोर्ट में दिल्ली में बालश्रम वाले कुछ एरिया चिह्नित किए गए हैं। इनमें मीठापुर, जैतपुर, संगम विहार, खानपुर एक्सटेंशन, खानपुर गांव, तुगलकाबाद गांव, हमदर्द नगर, गढ़ी लाजपत नगर, उत्तम नगर, कोटला मुबारकपुर, कुरेजी, अर्मापार्क, ब्रिजपुरी, जगतपुरी, जाफराबाद, वजीराबाद, जहांगीरपुरी, सीलमपुरी, सीमापुरी प्रमुख हैं।

World Day Against Child Labour 2020: What Does India's Law Say On Child  Labour? How To File Complaints?

कोशिशें जारी हैं
दिल्ली में 2020 में चाइल्ड लेबर प्रोबिएशन एंड रेगुलेशन एक्ट के तहत 6 केस दर्ज हुए थे। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने तीन साल में 202 बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराया, जबकि पिछले एक साल (2020-21) में 331 बच्चों को बचाया गया।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े

  • बाल अपराध 2307 केस
  • हत्या 57
  • डकैती-लूट के प्रयास 267
  • कुल चोरी 1141   (वाहन चोरी-284, अन्य चोरियां- 857)
  • घर के अंदर घुसकर चोरी 102
बच्चों पर हुए अपराध
  • कुल मामले 5362
  • हत्या 24
आईपीसी केस
  • 4113। स्पेशल एंड लोकल लॉ के आधार पर 1249 केस दर्ज हुए हैं, इनमें पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस भी शामिल हैं।
  • पॉक्सो एक्ट- 1197। इनमें 721 पीड़िता बच्चियां हैं।
  • बच्चों की तस्करी के 40 केस दर्ज हुए हैं दिल्ली में।
  • अपहरण व गुम हुए बच्चों की संख्या 3748 रही। इनमें से 1784 का पता नहीं लगा।

Khursheed Khan Raju

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