कई अनाज को मिक्स कर देने के बाद जो आटा बनता है, उसे मल्टीग्रेन आटा कहते हैं. मल्टीग्रेन आटा में पौष्टिक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है. जब शरीर में पैंक्रियाज काम कम करने लगे यानी इंसुलिन कम बनने लगे तो शरीर में शुगर का संश्लेषण कम होने लगता है. इसका नतीजा यह होता है कि शुगर खून में जमा होने लगता है जिससे डायबिटीज की बीमारी होती है. सिर्फ एक तरह के आटा में फाइबर की मात्रा कम होती है. फाइबर शुगर को खून में जाने से रोकने में मदद करता है, इसलिए मल्टीग्रेन आटा का इस्तेमाल बेहतर होता है, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है.
मल्टीग्रेन आटा क्या है. जैसा कि नाम से ही पता चलता है यह कई अनाजों से बना आटा है. एक अनाज के साथ दूसरे अनाज को मिक्स करके तैयार आटा को मल्टीग्रेन आटा या कॉन्बीनेशन फ्लोर कहा जाता है. गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा जैसे अनाज के बिना हम कल्पना भी नहीं कर सकते. यही चीजें मुख्य रूप से हमारे जीने का आधार है. यही हमारे शरीर को सबसे ज्यादा पोषक तत्व प्रदान करते हैं. अगर कई अनाज को एक साथ मिला दिया जाए और उससे मल्टीग्रेन आटा तैयार कर लिया जाए, तो इसमें पोषक तत्वों का मात्रा भी बढ़ जाती है और यह डायबिटीज से भी बचाता है.
जब शरीर में पैंक्रियाज कम काम करने लगे यानी इसमें से इंसुलिन कम बनने लगे तो शरीर में शुगर का संश्लेषण कम होने लगता है. इसका नतीजा यह होता है कि शुगर खून में जमा होने लगता है जिससे डायबिटीज की बीमारी होती है. एक तरह के आटा में फाइबर की मात्रा कम होती है. फाइबर शुगर को खून में जाने से रोकने में मदद करता है, इसलिए जब कई अनाज को हम एक साथ मिला देते हैं और उससे मल्टीग्रेन आटा तैयार करते हैं, तो इसमें फाइबर की मात्रा बढ़ जाती है. यही कारण है मल्टीग्रेन आटा डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद होता है.