सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चारधाम परियोजना (Char Dham Project) में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अहम दलील दी है. केंद्र ने कहा है कि भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाने वाली सीमा सड़कों के लिए फीडर सड़के हैं. उन्हें 10 मीटर तक चौड़ा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. केंद्र की ओर से दलील देते हुए अटॉर्नी जनरल के वेणुगोपाल ने कहा कि ये दुर्गम इलाके हैं, जहां सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, टैंक, सैनिकों और खाद्य आपूर्ति को लाने ले जाने की आवश्यकता है. अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी और उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा सकती है और भगवान न करे अगर युद्ध छिड़ गया तो सेना इससे कैसे निपटेगी.
हमें सावधान और सतर्क रहना होगा. हमें तैयार रहना है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सितंबर 2020 के एक आदेश में संशोधन की मांग की है, जिसमें चारधाम सड़कों की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर तक सीमित रखने का आदेश दिया गया था. गुरुवार को इस मामले में केंद्र और याचिकाकर्ता ने की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है. साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों को दो दिन में लिखित सुझाव देने को कहा है. कोर्ट को ये तय करना है कि क़रीब 900 किलोमीटर की चारधाम ऑल वेदर राजमार्ग परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाई जा सकती है या नहीं.
गौरतलब है कि इस मामले पर याचिकाकर्ता NGO की ओर से कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि सेना ने कभी नहीं कहा कि हम सड़कों को चौड़ा करना चाहते हैं. राजनीतिक सत्ता में कोई उच्च व्यक्ति चार धाम यात्रा पर राजमार्ग चाहता था. सेना तब एक अनिच्छुक भागीदार बन गई. इस साल बड़े पैमाने पर भूस्खलन ने पहाड़ों में नुकसान को बढ़ा दिया है. जस्टिस सूर्यकांत ने कॉलिन गोंजाल्विस से पूछा कि क्या उनके पास सीमा के दूसरी ओर हिमालय की स्थिति पर कोई रिपोर्ट है जहां चीनियों ने कथित तौर पर इमारतों और प्रतिष्ठानों का निर्माण किया है.गोंसाल्वेस ने कहा कि चीनी सरकार पर्यावरण की रक्षा के लिए नहीं जानी जाती है.हम कोशिश करेंगे और देखेंगे कि क्या हमें वहां की स्थिति पर कोई रिपोर्ट मिल सकती है .