भाजपा के राम के मुकाबले परशुराम का फरसा क्यों उठा रहे अखिलेश यादव, क्या है रणनीति

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उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आते ही जातिगत और धार्मिक आधार पर राजनीतिक समीकरणों के लिए बिसात बिछनी तेज हो गई है। लेकिन इस बार यूपी चुनाव में राजनीतिक समीकरण बेहद दिलचस्प हो गए हैं। अब तक ओबीसी वर्गों की राजनीति करने वाले अखिलेश यादव इस बार परशुराम के मंदिर का अनावरण करते दिख रहे हैं। रविवार को लखनऊ के गोसाईंगंज में उन्होंने भगवान परशुराम के मंदिर और उनके फरसे का अनावरण किया। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान परशुराम की पूजा की और आशीर्वाद लेकर चुनावी बिगुल फूंका।

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यही नहीं इस दौरान अखिलेश यादव एक हाथ में परशुराम का फरसा लिए दिखे तो दूसरे हाथ में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी लिया। यूपी की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि अखिलेश यादव ने फरसा और चक्र के जरिए जातिगत राजनीति को साधने का प्रयास किया है। दरअसल अखिलेश यादव पहले भी कई बार खुद को कृष्ण का वंशज बताते हुए उनका मंदिर बनाने की बात कह चुके हैं। इटावा के अपने गांव सैफई में भगवान कृष्ण की प्रतिमा का भी उन्होंने अनावरण किया था। दरअसल भगवान कृष्ण का जिक्र कर वह अकसर यादव बिरादरी को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं।

 

Khursheed Khan Raju

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