गोवा में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य के ईसाई नेता सत्ताधारी बीजेपी पार्टी से विदा लेते जा रहे हैं। ईसाईयों का बीजेपी से यह अलगाव पार्टी के लिए आगामी चुनाव में सरदर्दी साबित हो सकता है। हालांकि, पार्टी अभी भी अपने आपको मजबूती से पेश कर रही है।
सोमवार को कलनगुट से विधायक और मंत्री माइकल लोबो ने विधायकी और बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता दोनों से इस्तीफा दे दिया। लोबो कुछ समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, लोबो अपनी पत्नी दलीलाह को सियोलिम सीट से टिकट दिलवाना चाहते थे।
ऐसी खबरें हैं कि माइकल कांग्रेस जॉइन करेंगे लेकिन फिलहाल कांग्रेस ने भी उनकी पत्नी की उम्मीदवारी को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस भी गोवा भी राज्य के बड़े नेताओं को अपने पाले में लाने के लिए जुटी हुई है। खबरों की माने तो टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी माइकल से संपर्क किया है।
कलनगुट से विधायक माइकल को नॉर्थ गोवा का मजबूत नेता माना जाता है और करीब 5 से 6 निर्वाचन क्षेत्रों में उनका प्रभाव है। पार्टी छोड़ने के फैसले का बचाव करते हुए माइकल ने कहा, ‘मतदाताओं ने मुझे कहा कि बीजेपी अब आम आदमी की पार्टी नहीं रही है। एक आम कार्यकर्ता का पार्टी में अब कोई महत्व नहीं है।’ अगर कांग्रेस लोबो को अपने खेमे में ले आती है तो नॉर्थ गोवा में उसके पास एक बड़ा चेहरा होगा, जहां बीजेपी की मजबूत पकड़ मानी जाती है।
हालांकि, लोबो पहले विधायक नहीं है जिन्होंने बीजेपी से विदा ली है। बीते महीने ही कार्टोलिम से विधायक अलीना सालदानहा ने भी बीजेपी छोड़ी थी। अलीना ने आम आदमी पार्टी जॉइन की। वास्को से एक अन्य ईसाई विधायक कार्लोस अलमेडा ने भी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा था। अटकलें यह भी है कि वेलीम विधायक और मंत्री फिलिप नेरी रॉड्रिग्ज और नवेम विधायक बाबाशान भी जल्द ही बीजेपी छोड़ने वाले हैं।
माना जा रहा है कि इन विधायकों के पार्टी छोड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि अब ये बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने से हिचक रहे हैं। ये विधायक ईसाई बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से आते हैं, जहां बीजेपी के वोटर बहुत कम हैं। हार के डर से ये विधायक कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और टीएमसी जैसी विपक्षी पार्टियों के पाले में जा रहे हैं।