मणिपुर हिंसा की घटनाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायरल वीडियो ही एकमात्र घटना नहीं है. सीजेआई ने पूछा कि हिंसा के बाद कितने केस दर्ज किए गए? हमें सुनिश्चित करना होगा कि पीड़ित महिलाओं को न्याय मिले. हिंसा के बाद कितने केस दर्ज किए गए? हमें सुनिश्चित करना होगा कि पीड़ित महिलाओं को न्याय मिले.
मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के वायरल वीडियो मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में करीब तीन महीने पहले शुरू हुई हिंसा भड़कने के बाद यह महिलाओं के खिलाफ एकमात्र उदाहरण नहीं है. मणिपुर में जिन महिलाओं को नग्न घुमाया गया और उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान सभी FIR, जांच के लिए उठाए गए कदम, पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए गए आदि मुद्दों पर जवाब मांगा है. इन जवाबों के साथ सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फिर इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी.
इस सुनवाई के दौरान NGO ने अदालत को बताया कि कई महिलाएं हिंसा से भागकर दूसरे राज्यों में चली गई हैं. वे जहां हैं वहीं उनके बयान दर्ज किए जाने चाहिए. इस पर CJI ने पूछा कि क्या उनमें से अधिकतर महिलाएं दिल्ली में ही हैं? अगर हां तो उनके बयानों को भी दर्ज किया जाना चाहिए. CJI ने कहा कि हमारा विचार यह सुनिश्चित करना है कि हम समाज में संवैधानिक प्रक्रिया में विश्वास की भावना पैदा करें.
4 मई की घटना से संबंधित FIR
राज्य में हुई चार मई की हिंसा के बाद जीवित बचे लोगों ने यौन उत्पीड़न की घटना से संबंधित एफआईआर के मामले में अपनी याचिका के साथ एक अलग आवेदन दायर किया है. इस मामले में सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा, “यह वीडियो महिलाओं पर हमले की एकमात्र घटना नहीं है. गृह सचिव द्वारा दायर हलफनामा ऐसे कई उदाहरणों का संकेत देता है.”
सीजेआई ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद से महिलाओं पर हमले की कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं. सीजेआई ने कहा, “ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब कोई दूसरा वीडियो सामने आए तभी हम मामला दर्ज करने का निर्देश दें…हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन तीन महिलाओं के साथ न्याय हो.” याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि वे घटना की सीबीआई जांच नहीं चाहते हैं. वे यह भी नहीं चाहते कि मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर किया जाए. सिब्बल ने कहा, “यह स्पष्ट है कि पुलिस हिंसा करने वालों का सहयोग कर रही है. वे महिलाओं को भीड़ में ले गए. उन्होंने आगे कहा, “अगर पक्षपात का कोई तत्व है, तो एक स्वतंत्र एजेंसी की जरूरत है.” सुप्रीम कोर्ट ने संघर्षग्रस्त राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक व्यापक तंत्र विकसित करने के लिए किया.
वकील इंदिरा जयसिंह ने क्या कहा?
वहीं एक याचिकाकर्ता की ओर से वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मामले की जांच के लिए हाई पावर कमेटी बनाई जाए. इसमें सिविल सोसाइटी से जुड़ीं महिलाएं भी हों जिन्हे ऐसे मामलों से निपटने का अनुभव हो. केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए इंदिरा ने ऐसी महिलाओं के नाम सुझाए कि इन्हें वहां भेजा जा सकता है जो पीड़िताओं से सीधी बात कर सकें. हालांकि CJI ने कहा कि हम फिलहाल जांच पर रोक नहीं लगा सकते क्योंकि हिंसा करने वालों को गिरफ्तार भी करना है. वहीं हाई पावर कमेटी की जांच को लेकर कोर्ट ने पूछा कि अगर कमेटी जांच करेगी उस दौरान मामले की जांच कर रही CBI का क्या होगा?
मणिपुर हिंसा सोची-समझी साजिश: कॉलिन गोंजाल्विस
वहीं दूसरे वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने तीन पूर्व पुलिस महानिदेशकों का हवाला दिया कि उनको जांच टीम की अगुआई करने दी जा सकती है. कॉलिन ने आरोप लगाया कि सोची समझी साजिश और योजनाबद्ध तरीके हिंसा को अंजाम दिया गया. अब तक महिलाओं पर हमले के कम से कम 16 मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि मणिपुर में जो हुआ उस पर केंद्र ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं. पुलिस या CBI पर कोई भरोसा नहीं. मणिपुर में जांच के लिए जो SIT बने वह सिर्फ कुछ घटनाओं पर नहीं बल्कि सभी घटनाओं पर केन्द्रित हो.