मणिपुर में भूकंप आज नहीं आया, उसकी धरती 80 दिन से कांप रही है, हम अपनी ही कयामत के वीडियो देख रहे हैं

मध्यप्रदेश: युवती से सामूहिक दुष्कर्म, दो आरोपी गिरफ्तार दो अन्य फरार -  Amrit Vichar

 

 

दो रोज पहले मणिपुर एक हसीन तस्वीर था. हरे-भरे मैदान, पहाड़ और नीलम-रंगी झरनों से भरा. यहां लड़ाई तो चल रही थी, लेकिन देश पर उसका असर इतना ही था, जितना चांद पर आए तूफान का धरती पर. अब मामला अलग है. अगले कई सालों तक जब भी इस सूबे का नाम आएगा, सड़क पर परेड करती दो नग्न औरतें और भेड़-बकरी की तरह उन्हें हकालते पुरुष सामने होंगे. मणिपुर का वीडियो सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. लोग हिंदी-अंग्रेजी में लानतें भेज रहे हैं. देसी-विदेशी कविताओं के साथ कीचड़ उछाला जा रहा है.  इनके बीच कुछ और तस्वीरें भी हैं. शहर-चेहरे अलग, लेकिन मिजाज वही- नग्न औरतों को घेरे हुए पुरुष. ये काउंटर- अटैक है, यानी हमले के बदले हमला.

पूर्वोत्तर ही नहीं, ये तो बंगाल में भी हुआ- छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी. तुम्हारी ही नहीं, हमारी औरतें भी नग्न की जा रही हैं.
तुम्हारे राज्य ही हीं, हमारे पड़ोस में भी रेप हो रहे हैं.
हमारी सरकार ही क्यों, तुम्हारे वजीरे-आजम के दौर में भी ये सब हुआ.

नफरत को काटने के लिए नफरत का चाकू फिराया जा रहा है. लेकिन इन सबके बीच औरतें ही गायब हैं. वे जंग का हिस्सा नहीं. वे आंदोलनकारियों की बीवियां हैं. या बहन-बेटियां. या फिर वो जमीन, जिसे युद्ध में काम आना होता है.

बारिश में होने वाले सर्दी-जुकाम जितना ही कॉमन है, लड़ाई में औरतों का इस्तेमाल.

दो पड़ोसियों के बीच लड़ाई हो, या फिर दो मुल्कों में- लहूलुहान हरदम औरतें ही होंगी. रेप होगा. छेड़छाड़ होगी. या ये भी न हो सका तो उसकी नहाती-धोती तस्वीर वायरल कर दी जाएगी. लो भई, हो गया काम! दुश्मन की गर्दन काटने में वो लज्जत कहां, जो उसकी औरत की नग्न नुमाइश में है.

 

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