लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के बगैर देश की विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बनाने और उसका नेतृत्व करने का ख्वाब देख रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शिवसेना का जवाब आया है। कांग्रेस को अलग रख भारतीय जनता पार्टी के सामने मजबूत विपक्ष खड़ा करने की कवायदों में जुटीं टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को शिवसेना ने दो टूक लहजे में कहा कि बगैर कांग्रेस विपक्षी गठबंधन बनाना भाजपा को मजबूत करने जैसा होगा। अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘कांग्रेस रूपी उतर रही गाड़ी को ऊपर चढ़ने नहीं देना और कांग्रेस की जगह हमें लेना है यह मंसूबा घातक है।’
शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘ममता बनर्जी के मुंबई दौरे के कारण विपक्षी दलों की हलचलों में गति आई है। कम-से-कम शब्दों के हवा के बाण तो छूट रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के सामने मजबूत विकल्प खड़ा करना है इस पर एकमत हैं ही, लेकिन कौन किसे साथ लें अथवा बाहर रखें इस पर विपक्ष में अभी भी विवाद उलझा हुआ है। विपक्ष की एकता का न्यूनतम साझा कार्यक्रम नहीं बनता तो भाजपा को सामर्थ्यवान विकल्प देने की बात कोई न करे। अपने-अपने राज्य और टूटे-फूटे किले संभालते रहें कि एक साथ आएं इस पर तो कम-से-कम एकमत होना जरूरी है। इस एकता का नेतृत्व कौन करे यह आगे का मसला है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बाघिन की तरह लड़ीं और जीतीं। बंगाल की भूमि पर भाजपा को चारों खाने चित करने का काम उन्होंने किया। उनके संघर्ष को देश ने प्रणाम किया है।’
ममता के राजनीतिक अप्रोच की आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि ममता ने मुंबई में आकर राजनैतिक मुलाकात की। ममता की राजनीति काग्रेंस उन्मुख नहीं है। पश्चिम बंगाल से उन्होंने कांग्रेस, वामपंथी और भाजपा का सफाया कर दिया। यह सत्य है फिर भी कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर सियासत करना यानी मौजूदा ‘फासिस्ट’ राज की प्रवृत्ति को बल देने जैसा है। कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो, ऐसा मोदी व उनकी भाजपा को लगना एक समय समझा जा सकता है। यह उनके कार्यक्रम का एजेंडा है। लेकिन मोदी व उनकी प्रवृत्ति के विरुद्ध लड़नेवालों को भी कांग्रेस खत्म हो, ऐसा लगना यह सबसे गंभीर खतरा है।