देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में मुस्लिम समाज से जुड़े मसलों पर चर्चा हुई। इसमें देशभर से बोर्ड के कई अहम पदाधिकारी शामिल हुए। कोरोना के चलते यह बैठक ऑनलाइन जूम एप के जरिए करने का फैसला लिया गया। मौलाना ने अफसोस जताया कि मुसलमानों ने धर्म को पूजा तक सीमित कर दिया और सामाजिक मामलों की उपेक्षा की।
उन्होंने कहा कि शादियों में दहेज देने के बजाए प्रॉपर्टी में उसका हक दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस्लामी शरीयत को बदनाम किया जा रहा है। मुसलमानों को इस रीति-रिवाजों से बचना चाहिए, सुन्नत और शरीयत के अनुसार शादी करें। ये बातें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने कही। वो मंगलवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस्लाहे मुआशरा (समाज सुधार) कमेटी के ओर से ऑनलाइन बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
आसान शादी को सफल बनाने के लिए समिति बने
बैठक की शुरुआत कारी शहजाद साहब के कुरान पाक की तिलावत से हुई। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लेबर बोर्ड सचिव और इस्लाम समाज कमेटी के अखिल भारतीय संयोजक मौलाना मुहम्मद उमरीन महफूज रहमानी ने बताया कि शादी के संबंध में इस्लामी दिशा-निर्देश होना चाहिए। कोई मुस्लिम लड़कियां घरों में अविवाहित न बैठें।
न्होंने कहा कि हजरत मौलाना मुहम्मद रबी हसनी नदवी के संरक्षण में और हजरत मौलाना सैयद मोहम्मद वली रहमानी की देखरेख में मार्च में देश भर में एक आसान विवाह अभियान शुरू किया गया था। दर्जनों शादियां सादगी से हुईं। बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि आसान विवाह अभियान में मुस्लिम लड़के जुड़ें।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद अध्यक्ष और बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य हजरत मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि आसान शादी अभियान को सफल बनाने के लिए प्रभावशाली लोगों की एक समिति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कुछ सभाओं, भाषणों और लेखों के माध्यम से विवाह की कमियों को दूर नहीं किया जा सकता है, जिसके लिए एक निरंतर और व्यवस्थित संघर्ष की आवश्यकता है।