उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले चिंगारी सुलगाने की साजिशें शुरू हो गई हैं. कोई आंदोलन की धमकी दे रहा है, कोई यूपी में शाहीन बाग की धमकी दे रहा है तो कोई समान नागरिक संहिता के नाम पर विरोध की चेतावनी दे रहा है. ये सबकुछ हो रहा है उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए. बिना किसी सिर-पैर के CAA, NRC और कॉमन सिविल कोड के मुद्दे उठाए जा रहे हैं जिनका सीधे तौर पर चुनाव से कोई मतलब नहीं है.
टिकैत ने दी आंदोलन की चेतावनी
किसान नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को लखनऊ में किसान महापंचायत की है. लखनऊ में किसान महापंचायत क्यों की गई, इसका अंदाजा लगाना आसान है. उत्तर प्रदेश में कुछ महीनों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं, इसीलिए महापंचायत के लिए लखनऊ को चुना गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते ही तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है और संसद सत्र में ये कानून वापस भी ले लिए जाएंगे.
आंदोलनकारी किसान से अब भी आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं हैं, उल्टा नए सिरे से आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं. इसकी भी वजह उत्तर प्रदेश चुनाव ही है जो आंदोलनकारी पहले कह रहे थे कि वो कृषि कानून रद्द होने पर ही हटेंगे, उन्होंने अब नए मांग के साथ आंदोलन को चुनावी रंग देने की तैयारी कर ली है. किसानों की मांग है कि MSP गारंटी को लेकर कानून बने, आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवार को मुआवजा मिले, पराली एक्ट रद्द हो, बिजली संशोधन बिल वापस हो, मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त किया जाए.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आंदोलन के नाम पर किसानों को उकसाने का काम कर रहे हैं. दूसरी ओर मुस्लिमों के नेता बनने का दावा करने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने भी यूपी में भड़काने का खेल शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि अगर NPR और NRC का कानून बनाएंगे तो हम दोबारा रोड पर निकलेंगे, यहां पर भी शाहीन बाग बनेगा.
मुस्लिमों को लुभाने में जुटे ओवैसी
बाराबंकी में अपनी पार्टी के प्रचार-प्रसार के लिए पहुंचे ओवैसी उत्तर प्रदेश में शाहीन बाग बनाने की धमकी दे चुके हैं. अपने वोटबैंक यानी मुस्लिम वोटों को अपने पाले में करने के लिए ओवैसी NPR और NRC जैसे मुद्दों को हवा दे रहे हैं. NPR और NRC को लेकर कहीं कोई चर्चा नहीं है लेकिन ओवैसी ने बिना वजह इस मुद्दे को उठाकर भड़काने की कोशिश की है.