HIGH COURT OF BOMBAY ने आठ साल की लड़की के यौन शोषण के आरोपी 46 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न की मंशा के बगैर किसी बच्चे के गाल छूना अपराध नहीं है। जस्टिस संदीप शिंदे की एकल पीठ ने पड़ोसी ठाणे जिले में रबोडी पुलिस द्वारा जुलाई 2020 में गिरफ्तार किए गए आरोपी मोहम्मद अहमद उल्ला को 27 अगस्त को जमानत दे दी।
हाई कोर्ट ने कहा, मेरी राय में यौन उत्पीड़न की मंशा के बिना किसी के गाल छूना बाल यौन अपराध संरक्षण कानून की धारा सात के तहत परिभाषित ‘यौन शोषण के अपराध के दायरे में नहीं आता है। रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के प्राथमिक मूल्यांकन से यह नहीं लगता कि याचिकाकर्ता ने यौन शोषण की मंशा से पीड़ित के गाल छूए।
HIGH COURT OF BOMBAY : ‘टिप्पणी को राय ही समझा जाय’
बहरहाल जस्टिस शिंदे ने आदेश में स्पष्ट किया कि उनके द्वारा की गई टिप्पणी को इस मामले में जमानत के लिए दी गई राय ही समझा जाए और इसका अन्य मामलों में सुनवाई पर किसी तरह का असर नहीं पड़े। अभियोजन के अनुसार, उल्ला ने लड़की को कथित तौर पर अपनी दुकान के अंदर बुलाया जहां उसने उसके गाल छूए, अपनी कमीज उतारी और अपनी पतलून खोलने ही वाला था, तभी एक महिला वहां आ गई जिसने आरोपी को लड़की को अपनी दुकान में ले जाते देखा था और उसे संदेह हुआ था।