वैक्सीन आने तक बच्चों को ओमिक्रॉन से बचाने के टिप्स, जानें हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय

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ओमिक्रॉन की दस्तक ने सभी लोगों को फिर से परेशानी में डाल दिया है। खासकर बच्चों के माता- पिता की नींद उड़ी हुई है क्योंंकि वयस्कों को वैक्सीन लग चुकी है लेकिन अभी तक बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आई है। ऐसे में बच्चों को कोरोना के नए वेरिएंट से बचाकर रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। विशेषज्ञों ने बच्चों के बचाव के लिए कुछ टिप्स बताए हैं।

टीका आने तक बच्चों को संक्रमण से किस तरह बचाएं?
डब्लूएचओ के मुताबिक, सार्वजनिक जगहों पर आपका व्यवहार यह तय करता है कि आप संक्रमण का कितना जोखिम अपने बच्चों तक स्थानांतरित कर रहे हैं। मास्क, दूरी और हाथों की स्वच्छता के नियम याद रखें। घर लौटने के बाद गंदे हाथों से बच्चों के करीब न जाएं। अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं है तो बच्चों से दूरी बनाकर रखें और घर में मास्क लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे किनके संपर्क में आ रहे हैं।

देश में ओमिक्रॉन की दस्तक ने अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है। माता-पिता खुद टीका लगवा चुके हैं और बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं क्योंकि बच्चों का टीका नहीं आया है। हम आपको तमाम रिसर्च व विशेषज्ञों के हवाले से ऐसी जानकारियां बता रहे हैं जो टीका आने तक बच्चों को सुरक्षित बनाए रखने में मददगार होंगी।

देश में बच्चों के लिए कोविड रोधी टीका कब तक आने की संभावना है?
बच्चों के लिए देश में जायडस कैडिला कंपनी ने बिना सुई का तीन डोज वाला एक टीका ‘जायकॉव’ बनाया है। इस टीके को देश में 12 साल एवं उससे अधिक उम्र के लोगों के इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है। 7 नवंबर को केंद्र ने कंपनी से एक करोड़ डोज की खरीदारी का ऑर्डर भी दे दिया। संसद में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि बच्चों का मामला होने के कारण सरकार जल्दबाजी नहीं करना चाहती और विशेषज्ञों की राय के आधार पर ही निर्णय होगा।

अगर घर में हर वयस्क को टीका लग चुका है तो बच्चे कितने सुरक्षित?
जब घर के ज्यादातर वयस्कों को टीका लग चुका हो तो टीके से बचे रह गए लोगों को सुरक्षित वातावरण मिलता है, यानी आपका टीका लगवा लेना बच्चों को सुरक्षा देगा। प्रतिष्ठित विज्ञान जर्नल लांसेट में प्रकाशित एक हालिया शोध का दावा है कि टीके की दोनों डोज लगवा चुके लोग भी अपने घरों के टीका न लगवाने वालों तक संक्रमण फैला सकते हैं। ब्रिटेन में हुए शोध से पता लगा कि ऐसे लोग संक्रमित हुए बिना इस संक्रमण के वाहक बन सकते हैं।

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