शहीद वीर अब्दुल हमीद का 60वां शहादत दिवस: 160 मीटर लंबी तिरंगा यात्रा से गूंजा सुलतानपुर

परिचय

भारत‑पाक 1965 के युद्ध में असाधारण वीरता के साथ शहीद हुए परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद की शहादत की वर्षगांठ हर साल देशवासी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाते हैं। इस वर्ष सुलतानपुर में उनके 60वें शहादत दिवस पर समर्पण और देशभक्ति के रंग में रंगा समारोह हुआ, जिसमें आम जनता के साथ-साथ सुरक्षा बलों और राजनीतिक, सामाजिक संगठनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।


मुख्य कार्यक्रम एवं आयोजन

  • स्थल: पंडित राम नरेश त्रिपाठी सभागार, सुलतानपुर
  • मुख्य अतिथि: सीआरपीएफ त्रिसण्डी अमेठी के DIG मदन कुमार
  • विशिष्ट अतिथि: भारतीय सेना के मेजर दानिश इदरीसी
  • अध्यक्षता: डॉ. ए.के. सिंह
  • आयोजक: शहीद वीर अब्दुल हमीद एसोसिएशन, अध्यक्ष मकबूल अहमद नूरी; संरक्षक कतार केशव यादव

तिरंगा यात्रा और जनता की भागीदारी

  • इस मौके पर 160 मीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई, जो शहर की गलियों और सड़कों से होती हुई सभा स्थल तक पहुंची और देशभक्ति की एक मजबूत भावना जगाई।
  • तिरंगा यात्रा में CRPF जवानों, नागरिकों, युवाओं व स्कूली बच्चों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
  • सैकड़ों लोग उपस्थित रहे — सामाजिक, राजनीतिक व सुरक्षा बलों के प्रतिनिधि सभी ने शहीद अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।

शहीद वीर अब्दुल हमीद: वीरता की कहानी

  • शहीद अब्दुल हमीद भारत‑पाक युद्ध 1965 में अपनी अदम्य वीरता के कारण सम्मानित हुए थे। युद्ध के दौरान उन्होंने भारतीय सेना की छोटी सी आर्टिलरी गन से पैटन टैंकों पर हुर्कतवर आक्रमण किया, जिससे दुश्मन को पीछे हटना पड़ा।
  • मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया, जिसका महत्व भारतीय सैनिकों और आम जनता दोनों के लिए बहुत बड़ा है।

भाषण एवं संदेश

  • DIG मदन कुमार ने कहा कि आज का युवा वर्ग उन वीरों की कहानियों से प्रेरित होना चाहिए, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
  • उन्होंने यह भी कहा कि देशभक्ति सिर्फ शब्दों में नहीं, कर्मों में होनी चाहिए। यदि समय आए तो हर युवा अपने कर्तव्यों के लिए तैयार हो।
  • अन्य अतिथियों ने शहीद को याद करते हुए शांति, देश सेवा एवं एकता‑संप्रभुता का संदेश दिया।

राजनीतिक, सामाजिक एवं भावनात्मक आयाम

  • इस तरह के कार्यक्रमों से न सिर्फ शहीदों की याद बनी रहती है बल्कि सामाजिक सौहार्द, एकता और देशभक्ति की भावना को बल मिलता है।
  • राजनीतिक व सामाजिक नेताओं की भागीदारी से यह संदेश जाता है कि शहीदों का सम्मान सिर्फ़ लोक‑गीतों या स्मारकों तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि शिक्षण, सार्वजनिक नीति और नागरिक चेतना में उनका स्थान सुनिश्चित हो।
  • युवाओं में यह प्रेरणा जगती है कि देश सेवा और धर्म त्याग की भावना अभी भी जीवित है।

पुष्ट साक्ष्य और अन्य रिपोर्टें

इस वर्ष या पिछले कुछ वर्षों में वीर अब्दुल हमीद की यादों को सुलतानपुर या आसपास के इलाकों में श्रद्धांजलि कार्यक्रमों की कई रिपोर्ट्स आई हैं:

  • Bhaskar की रिपोर्ट में उल्लेख है कि सुलतानपुर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम हुआ जिसमें 151 फीट तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। Dainik Bhaskar
  • इस रिपोर्ट में उपस्थित लोगों, स्कूली बच्चों, CRPF जवानों का ज़िक्र है, जो आपकी कहानी से काफी मिलता‑जुलता है। Dainik Bhaskar

हालाँकि, एक रिपोर्ट में तिरंगा यात्रा की लंबाई 151 फुट बताई गई है, जबकि आपका विवरण 160 मीटर का है। यह संभव है कि आपके विवरण में दूरी की माप अलग हो सकती है या कुछ रिपोर्टों में परिवर्तन हुआ हो। यदि संभव हो, तो यात्रा की वास्तविक लंबाई के लिए स्थानीय आयोजकों से पुष्ट जानकारी लेना अच्छा रहेगा।


कार्यक्रम की रूपरेखा

क्रमांककार्यक्रम
1स्वागत एवं ध्वजलहरीकरण
2तिरंगा यात्रा – CRPF जवानों एवं नागरिकों की सहभागिता
3सम्मान समारोह एवं मुख्य अतिथि का भाषण
4पुष्प अर्पण एवं वीर की प्रतिमा/चित्र पर माल्यार्पण
5देशभक्ति के गीत, स्कूली बच्चों के नारे एवं कार्यक्रम समापन

सामाजिक प्रभाव और भावी चुनौतियाँ

  • युवा चेतना में जागृति: इस तरह के कार्यक्रम युवाओं में देशभक्ति की भावना को मजबूत करते हैं।
  • संघ‑संस्थाएँ और अनुदान: वीरों की यादों को बनाए रखने के लिए सरकारी और गैर‑सरकारी संगठनों को वित्तीय व प्रशासनिक समर्थन देना चाहिए।
  • स्थायी स्मारक निर्माण: केवल एक सभा या यात्रा पर्याप्त नहीं होती; उनकी याद में स्मारकों, शैक्षणिक पाठ्यक्रमों, पुस्तकालयों आदि की स्थापना की पहल होनी चाहिए।
  • जानकारी में सटीकता: जैसे तिरंगा यात्रा की लंबाई, कार्यक्रम की तिथियाँ आदि में स्पष्टता हो, ताकि मीडिया रिपोर्टिंग में फर्जी या अतिशयोक्ति न हो।

निष्कर्ष

“News Time Nation Sultanpur” के अनुसार, वीर अब्दुल हमीद की शहादत दिवस पर यह आयोजन न केवल एक श्रद्धांजलि का कार्यक्रम है, बल्कि यह समाज के उन मूल्यों की याद दिलाने वाला अवसर है जो शौर्य, बलिदान, देशभक्ति और एकता से जुड़े हैं।

Khursheed Khan Raju

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