मध्य प्रदेश का महिला एवं बाल विकास विभाग प्रदेश में विभिन्न जिलों में रहने वालें तीन साल की उम्र के बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं और 11 से 14 वर्ष के आयु वर्ग में स्कूल से बाहर की किशोरियों की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरक पोषण आहर के तहत टेक होम राशन बांटा रहा है। इसका खुलासा मध्य प्रदेश ऑडिटर जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। यह विभाग अभी खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है।
दरअसल विभाग ने 2018-21 के दौरान करीब 2393 करोड़ का 4.05 मीट्रिक टेक होम राशन लगभग 1.35 करोड़ लाभार्थियों को बांटा। लेकिन टेक होम राशन की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इसके परिवहन, उत्पादन, वितरण और गुणवत्ता में गड़बड़ी की गई है। इस योजना के तहत बांटा जाने वाला टेक होम राशन बड़ी मात्रा में सिर्फ कागजों में बांट दिया गया।
ऑडिटर जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइक, कार, ऑटो और टैंकर के नंबरों को ट्रक का बताकर 6 राशन बनाने वाली फर्मो से करीब 6.94 करोड़ का 1125.64 मीट्रिक टन राशन परिवहन दिखाया गया। साथ ही इसके टेक होम राशन के उत्पादन और वितरण के रिकॉर्ड में भी गड़बड़ी सामने आई है। यहां उत्पादन के लिए कच्चा माल, बिजली की खपत की तुलना में राशन का असंभव उत्पादन किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार इसमें करीब 58 करोड़ का नकली उत्पादन किया गया। प्रदेश के धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी में यह गड़बड़ी देखने को मिली है। यहां चालान जारी करने की तारीख पर टेक होम राशन के स्टॉक में अनुपलब्धता होने के बावजूद लगभग 822 मीट्रिक टन टेक होम राशन सप्लाई कर दिया गया।
रिपोर्ट के अनुसार स्कूल नहीं जाने वाली छात्राओं की संख्या का बिना बेसलाइन सर्वे कर ही राशन बांट दिया। और स्कूल शिक्षा विभाग के 9 हजार बच्चों की संख्या को ना मानते हुए बिना सर्वे के 36 लाख से ज्यादा संख्या मान ली। 2018- 21 के बीच करीब 48 आंगनवाड़ियों में रजिस्टर बच्चों की संख्या से ज्यादा को 110 करोड़ का राशन कागजों पर बांटा गया हैं।