संविधान का सहारा मिला तो अनुसूचित जाति की सिमरन ने पाई मंजिल, जानिए इनकी कहानी

अनुसूचित जाति समाज की बेटी सिमरन अटवाल बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर से प्रेरणा लेकर उस मुकाम तक जा पहुंचीं, जो हर किसी का सपना होता है। न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठकर सिमरन अटवाल आज भी गरीब व अनुसूचित जाति के लोगों को इस बात के लिए जागरुक कर रही हैं कि वह बाबा साहेब के संविधान को समझें और उनका अनुसरण कर अधिक से अधिक पढ़ाई करें।

जालंधर कैंट के मोहल्ला नंबर 30 की रहने वाली सिमरन अटवाल गरीब बच्चियों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं। सिमरन कौर के पिता एडवोकेट बलदेव अटवाल ने बेटी सिमरन को बचपन से ही पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया था। सिमरन कहती हैं कि अनुसूचित समाज के उत्थान का एकमात्र रास्ता पढ़ाई व जागरूकता है।

सिमरन ने पहली ही बार में ही पीसीएस न्यायिक परीक्षा पास कर ली थी। सिमरन कौर ने कहा कि आज वह जिस स्थान पर खड़ी हैं, माता-पिता की बदौलत ही यह संभव हो पाया है। सिमरन ने अपनी शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय नंबर एक कैंट से की और उसके बाद बीडी आर्य कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। इस दौरान संविधान व बाबा साहेब आंबेडकर की जीवनी को पढ़ा। इससे वह इतनी प्रभावित हुईं कि अपने जीवन का लक्ष्य ही बना लिया। फिर गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से बीबीएल किया और एलएलएम ज्यूडिशियल कैंपस, जालंधर से मास्टर डिग्री की।

अपनी सभी पढ़ाई पूरी करने के बाद सिमरन ने 2019 में पीसीएस ज्यूडिशियल की परीक्षा दी और पहली ही बार में वह कामयाब हो गईं। सिमरन ने बताया कि वह अनुसूचित समाज से हैं। आज भी यह समाज काफी पिछड़ा हुआ है। गरीबी रेखा में जीवन जी रहा है, इस दलदल से निकलने का एकमात्र रास्ता भारत का संविधान व बाबा साहेब की शिक्षा है। आज भी वह गरीबों की मदद से पीछे नहीं हटतीं।

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