समाजवादी परफ्यूम’, दावा- 2022 में खत्म होगी नफरत

समाजवादी इत्र से अखिलेश यादव 2022 में दूर करेंगे नफरत की गंध

2017 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले 2016 में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सरकार के चार साल पूरे होने पर ‘समाजवादी परफ्यूम’ (Samajwadi Perfume) लॉन्‍च किया था. एक बार फिर जब चुनाव नजदीक है तो सपा मुखिया ने मंगलवार को समाजवादी सुगंध नाम वाला यह परफ्यूम लॉन्च किया है. इस दौरान सपा एमएलसी पुष्पराज जैन ने कहा कि इस परफ्यूम से 2022 में नफरत खत्म हो जाएगी. दरअसल, इस इत्र को सपा एमएलसी ने तैयार किया है.

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सपा एमएलसी ने बताया कि इस इत्र को तैयार करने में दो वैज्ञानिकों ने चार महीने का समय लिया है. उनका कहना है कि इस इत्र को तैयार करने में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक से 22 प्राकृतिक इत्र का प्रयोग किया गया है. इससे निर्मित इत्र से समाजवाद की सुगंध आती है. भाईचारा महसूस होगा और कन्नौज की मिट्टी का भी इसमें उपयोग किया गया. उन्होंने बताया कि 22 खुशबुओं का इसलिए मेल किया गया क्योंकि नफरत की आंधी जो फैली हुई है उसे 2022 में इस परफ्यूम से दूर भगा देंगे. उन्होंने कहा कि 2024 के लिए भी एक इत्र तैयार किया जा रहा है जो नफरत की आंधी को दूर कर देगा.

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अनुराग भदौरिया ने कही ये बात
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने समाजवादी परफ्यूम पर कहा कि ये हिंदुस्तान की खुशबू है. जो लोग देश में नफरत फैलाना चाह रहे हैं उन्हें उखाड़ फेंकने का काम करेगी। ये समाजवादी इत्र है, ये समाज को जोड़ने का काम करता है.

 

2016 में भी किया था लॉन्च
2016 में जब समाजवादी परफ्यूम लॉन्च हुआ था तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि ‘समाजवादी सुगंध’ परफ्यूम के जरिए इनमें से हर शहर की एक अलग खासियत और मिज़ाज को खुशबू के ज़रिये पेश किया जा रहा है. हालांकि अखिलेश ने कहा कि विपक्ष इसे भी मुद्दा बना सकता है. कह सकता है कि मैंने सुगंध को समाजवादी नाम क्यों दिया? मुख्यमंत्री ने कहा था कि “मेरे विरोधी कह सकते हैं कि मैंने तो एम्बुलेंस सर्विस को भी समाजवादी एम्बुलेंस सेवा नाम दे दिया था और सुगंध को भी समाजवादी कह रहा हूं.’ अखिलेश ने कहा था कि ‘मैंने तो नदियों को भी समाजवादी कहा था क्योंकि वह प्यास बुझाने में कोई भेदभाव नहीं करतीं, मैंने लैपटॉप बांटे तो उन्हें भी समाजवादी कहा क्योंकि वह ग़रीब-अमीर के बीच डिजिटल खाई को ख़त्म करता है और खुशबू भी फ़िज़ा में उड़ कर सभी तक पहुंचती है इसलिये मैंने इसे समाजवादी सुगंध कहा है.”

Khursheed Khan Raju

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