एक लंबी आंख मिचौली के बाद आखिरकार ऊषा सिंह पर कानून का शिकंजा कसने लगा और मजबूरी मे आकर आखिर कार उन्हें सरेंडर करना पड़ा… जिला पंचायत अध्यक्ष के पति और ब्लाक प्रमुख शिवकुमार ने अपनी जमानत करवाते हुए खुद को तो बचा लिया… लेकिन अपनी पत्नी ऊषा सिंह को महफूज ना कर सके…
नमस्कार मैं हूं खुशबू पाण्डेय.. यूपी में सियासत बिना सुल्तानपुर के कभी पूरी नहीं हो सकती… लेकिन इस बार जो सियासत शुरु हुई है उससे कईयों के माथे पर शिकन आने लगी है… क्योकिं एमपी-एमएलए कोर्ट में जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह और उनकी समर्थक आरोपी कमला देवी ने आखिरकार आत्मसमर्पण कर दिया… ऊषा सिंह पर हत्या की कोशिश और एसएसी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था… और ये मुकदमा भी किसी और ने नहीं बल्कि सुल्तानपुर के बाहुबली मोनू सिंह ने दर्ज कराया था….
दरअसल धनपतगंज के ब्लाक प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू ने आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था कि 5 फरवरी साल 2016 की दोपहर करीब डेढ़ बजे जिला अध्यक्ष ऊषा सिंह उनके पति शिवकुमार सिंह और पूर्व जिला पंचायत सदस्य कमला देवी अपने समर्थकों के साथ पर्चा दाखिल करने जा रहे थे… इस दौरान मोनू सिंह की समर्थक जानकी देवी भी पर्चा दाखिल करने पहुची थी… रास्ते में ही दोनों आमने सामने आ गए… आरोप है की ऊषा सिंह और शिव कुमार सिंह के समर्थकों ने जानकी देवी पर फायरिंग की जिसमें वो बाल बाल बची थी… इस हमले में ऊषा सिंह और शिव कुमार सिंह के साथ, रमाकांत मिश्रा, राजेंद्र मिश्रा, सिराज, दद्दन दूबे और भूपेंद्र सिंह को भी आरोपी बनाया गया था… पुलिस ने विवेचना के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया… सुनवाई शुरू हुई तो आरोपी सिराज के सिवा कोर्ट में ना तो कोई हाजिर हुआ और ना ही किसी ने जमानत करवाई… इससे नाराज होकर कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी कर दिया… जिसपर कोर्ट ने शिवकुमार और उनके समर्थक दद्दन को अब जमानत दे दी है… लेकिन कोर्ट ने ऊषा सिंह को राहत नहीं दी…और अब उन्हें आखिरकार सरेंडर करना पड़ा है… ऊषा सिंह के गिरफ्तार होते ही सोनू और मोनू के खेमे में खुशी का माहौल है…हालाकि सोनू सिंह जहां जेल में हैं तो मोनू सिंह पर सरकारी गवाह को धमकाने का मुकदमा दर्ज किया गया है…