इस बार अच्छी फसल होने के बावजूद हिमाचल में सेब कारोबार 500 करोड़ रुपये कम हो सकता है। सेब के रेट गिरने, ओलों की मार और बेमौसमी बर्फबारी इसकी प्रमुख वजह बनी है। चालू सीजन में सेब व्यवसाय 4500 करोड़ में सिमटेगा। प्रदेश में अच्छे ग्रेड के सेब की पैदावार कम होने से सेब बागवानों का संकट बढ़ा है। ओलों की मार से सी ग्रेड के सेब की पैदावार ज्यादा होने से सेब अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।
प्रदेश में हर बार सेब कारोबार करीब 5000 करोड़ रुपये तक होता था। सरकार के आकलन के अनुसार राज्य में मौसम खासकर ओलों की मार से करीब 300 करोड़ का नुकसान बागवानी क्षेत्र को हो चुका है। इसमें से 90 फीसदी नुकसान केवल सेब की फसल को हुआ है। सीजन में तेजी आते ही बागवानों को सेब के रेट की बहुत बड़ी मार पड़ी है। सेब के औसत दाम ज्यादा नीचे गिरने से पड़ी मार से सेब अर्थव्यवस्था पर कुल 500 करोड़ की मार अभी तक पड़ चुकी है।
हिमाचल प्रदेश सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि ओलों की मार, बेमौसमी बर्फबारी और सेब के दाम नीचे गिरने से पहली बार सेब की अर्थव्यवस्था पर मार पड़ी है। उनका दावा है कि सेब बागवानों को इन सबसे करीब 1400 करोड़ का नुकसान हुआ है। बागवानों को अभी तक सरकार की ओर से मदद के रूप में एक रुपया तक नहीं मिला है।
राज्य के बागवानी निदेशक जेपी शर्मा ने कहा कि मौसम की मार से बागवानी क्षेत्र को करीब 300 करोड़ की क्षति पहुंची है। ओलों की मार से सी ग्रेड का सेब ज्यादा है और इससे आर्थिक क्षति ज्यादा हुई है।