हेलिपैड पास घोटाले पर उठे सवाल: प्रतापगढ़ प्रशासन की कार्यशैली पर उंगली

संवाददाता , दया शंकर पाण्डेय

प्रतापगढ़ जिले में एक प्रशासनिक चूक या साजिश – यह सवाल अब गंभीर बहस का मुद्दा बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हाल ही में प्रतापगढ़ यात्रा के दौरान, हेलिपैड पास नंबर 302 एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर जारी कर दिया गया जो नगर पंचायत अध्यक्ष नहीं है।

यह घटना प्रशासनिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। News Time Nation प्रतापगढ़ की इस ग्राउंड रिपोर्ट में हम आपको दिखा रहे हैं कि कैसे एक भूतपूर्व सीमा सुरक्षा बल के जवान दया शंकर पांडेय के माध्यम से यह पूरा मामला उजागर हुआ।


क्या है पूरा मामला?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रतापगढ़ दौरे के लिए सुरक्षा एवं व्यवस्था के तहत विभिन्न लोगों को हेलिपैड पास जारी किए गए। यह पास उच्चस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा होते हैं, और इन्हें केवल उन्हीं व्यक्तियों को जारी किया जाता है जिनकी उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है।

लेकिन पास संख्या 302 जिस नाम पर जारी किया गया वह नाम है:

उदय पाण्डेय – नगर पंचायत अध्यक्ष, हीरागंज बाजार

जबकि वास्तविकता यह है कि हीरागंज नगर पंचायत की मौजूदा अध्यक्षा हैं – सुरेखा देवी।


उजागर करने वाले कौन?

यह मामला उजागर किया दया शंकर पाण्डेय ने, जो प्रतापगढ़ निवासी और भूतपूर्व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान रह चुके हैं। उन्होंने News Time Nation प्रतापगढ़ से बात करते हुए कहा:

“यह सीधी-सीधी फर्जीवाड़ा है। हेलिपैड पास जैसा संवेदनशील दस्तावेज ऐसे व्यक्ति के नाम पर कैसे जारी हो सकता है जो उस पद पर है ही नहीं?”

उन्होंने आगे कहा कि वे ADM प्रतापगढ़ द्वारा जारी इस पास की वैधता को लेकर प्रशासन से जवाब मांगेंगे।


किसने जारी किया पास?

ADM प्रतापगढ़ यानी अपर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से यह पास जारी हुआ। यह और भी चिंताजनक है क्योंकि ADM का कार्यालय सुरक्षा और प्रोटोकॉल व्यवस्था का अहम हिस्सा होता है।

अब सवाल उठता है:

❓ क्या ADM को ग़लत जानकारी दी गई?
❓ या जानबूझकर किसी को गलत फायदा पहुँचाया गया?


नगर पंचायत हीरागंज का वास्तविक अध्यक्ष कौन?

सरकारी अभिलेखों के अनुसार, हीरागंज नगर पंचायत की वर्तमान अध्यक्षा हैं – श्रीमती सुरेखा देवी। वे आधिकारिक रूप से निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं। ऐसे में उदय पाण्डेय के नाम पर पास जारी होना साफ दर्शाता है कि या तो यह चूक है या फिर जानबूझकर किया गया पददुरुपयोग।


क्या है हेलिपैड पास की संवेदनशीलता?

हेलिपैड पास का सीधा संबंध मुख्यमंत्री की सुरक्षा से होता है। हेलिपैड वह स्थान होता है जहाँ VVIP जैसे मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर उतरता है। ऐसे स्थानों पर केवल प्रमाणित और अधिकृत व्यक्तियों को ही अनुमति दी जाती है।

अगर ऐसे पास फर्जी नामों या ग़लत लोगों को जारी हो जाएं, तो यह:

  • मुख्यमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक हो सकती है
  • आतंकवाद या अराजक तत्वों को मौका मिल सकता है
  • प्रशासन की विश्वसनीयता पर बट्टा लग सकता है

News Time Nation प्रतापगढ़ के संवाददाता क्या पाए?

हमारे संवाददाता ने जब नगर पंचायत कार्यालय हीरागंज जाकर पूछताछ की, तो वहाँ के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:

“अध्यक्ष तो सुरेखा देवी हैं, लेकिन पास उदय पाण्डेय के नाम कैसे जारी हुआ, यह हमें भी समझ नहीं आया।”

यह बयान खुद दिखाता है कि पूरे मामले में अंदरूनी मिलीभगत या लापरवाही हो सकती है।


जिलाधिकारी प्रतापगढ़ की भूमिका पर उठे सवाल

जिले का सबसे बड़ा अधिकारी होता है जिलाधिकारी (DM), जिनकी निगरानी में ADM, SDM, CO और अन्य अधिकारी कार्य करते हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल बनता है:

प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी इस घोटाले की जांच कब करेंगे?

क्या यह मामला उनके संज्ञान में है? अगर है, तो क्या कोई जांच टीम गठित की गई है? अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।


क्या बोले नागरिक?

News Time Nation प्रतापगढ़ ने हीरागंज बाजार में लोगों से बात की। नागरिकों की नाराज़गी साफ दिखाई दी।

✍️ राकेश यादव (स्थानीय व्यापारी):

“हमें लगता था कि योगी सरकार में पारदर्शिता है। लेकिन अब तो पास भी गलत लोगों को दिए जा रहे हैं।”

✍️ संगीता मिश्रा (महिला अध्यापिका):

“अगर सुरक्षा पास ऐसे बांटे जाएंगे, तो कहीं न कहीं कानून से खिलवाड़ हो रहा है।”


क्या उदय पाण्डेय का राजनीति में हस्तक्षेप है?

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि उदय पाण्डेय, पूर्व में नगर पंचायत से जुड़े रहे हैं या किसी पद पर थे, लेकिन फिलहाल वे अध्यक्ष नहीं हैं। इसके बावजूद उन्हें हेलिपैड पास मिलना दर्शाता है कि राजनीतिक दबाव या पुराने संबंध अब भी प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं।


क्या कानूनन कार्यवाही बनती है?

हां, इस मामले में कई धाराओं के अंतर्गत FIR दर्ज हो सकती है:

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी)
  • धारा 468 (जालसाजी करके दस्तावेज बनाना)
  • धारा 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना)
  • धारा 120B (षड्यंत्र करना)

यदि जांच में यह साबित होता है कि जानबूझकर गलत नाम पर पास जारी किया गया, तो ADM सहित शामिल सभी व्यक्तियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

Khursheed Khan Raju

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