बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने साल 2016 से राज्य में शराब की बिक्री, सेवन और निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है। शराब को लेकर सरकार ने बेशक कड़ा कानून बनाया है लेकिन इसकी हकीकत उलट है। राज्य का आलम ये है कि आए-दिन शराब जब्त और तस्कर गिरफ्तार किए जाते हैं। तस्कर भी स्मार्ट हो गए हैं। वो पुलिस से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर तस्करी में लिप्त हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार यहां के लोग महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी काफी ज्यादा शराब पी रहे हैं। इतना ही नहीं पिछले कुछ समय से लगातार जहरीली शराब पीने से 40 से ज्यादा लोग मौत की नींद सो चुके हैं। इसी बीच बिहार पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया है कि राज्य में जनवरी 2021 से अक्टूबर 2021 तक राज्य मद्य निषेध एवं उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2018 के तहत विशेष छापेमारी करके विभिन्न जिलों में कुल 49,900 मामले दर्ज किए गए हैं। शुक्रवार को राज्य पुलिस ने बताया कि सूबे में कुल 38,72,645 लीटर अवैध शराब बरामद और जब्त की गई है।
बिहार पुलिस ने शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि राज्य में कुल 12,93,229 लीटर देशी शराब और 25,79,415 लीटर विदेशी शराब बरामद की गई है। पुलिस ने कहा कि अभियान के दौरान, राज्य में 62,140 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और 12,200 वाहन जब्त किए गए।
पुलिस ने आगे बताया कि कुल आरोपियों में से गिरफ्तार किए गए 1,590 लोग राज्य के नागरिक नहीं है। शराब बरामदगी के मामले में अव्वल रहे पांच जिलों के नाम हैं- 45,63,59 लीटर शराब के साथ वैशाली, 35,00,85 लीटर के साथ पटना, 25,64,80 लीटर के साथ मुजफ्फरपुर, 23,25,42 लीटर के साथ औरंगाबाद और 223767 लीटर के साथ मधुबनी।
गिरफ्तारी के मामले में शीर्ष पांच जिलों के नाम हैं- 6855 गिरफ्तारियों के साथ पटना, 3872 गिरफ्तारियों के साथ सारण, 2832 गिरफ्तारियों के साथ मोतिहारी, 2814 गिरफ्तारियों के साथ नवादा और 2660 गिरफ्तारियों के साथ मुजफ्फरपुर।