UP Politics: गुटबाजी की वजह से मायावती के घर में भी बसपा खत्म होने के कगार पर, पार्टी में बचे गिने-चुने नेता

अंदरूनी गुटबाजी के परिणाम कितने घातक होते हैं, इसका अंदाजा पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के घर जनपद गौतमबुद्ध नगर में बसपा के हश्र को देखकर लगाया जा सकता है। हालांकि, समूचे प्रदेश में ही बसपा की हालत खस्ता है, लेकिन गौतमबुद्ध नगर में सभी बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने से अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है।

मायावती की UP से ज्यादा पंजाब में दिलचस्पी क्यों - सिर्फ दलित मुद्दा या कुछ  और? - Mayawati alliance with Akali Dal SAD Badals will benefit BJP most or  else

भाजपा में शामिल हो सकते हैं कई नेता

अब पार्टी में गिने-चुने नेता ही रह गए हैं। सूत्रों की मानें तो शेष नेताओं में से भी अधिकतर अगले कुछ दिन में भाजपा में शामिल हो जाएंगे। गौतमबुद्ध नगर बसपा सुप्रीमो का गृह जनपद है। दादरी का बादलपुर उनका पैतृक गांव है। इस वजह से यह जिला बसपा का मजबूत गढ़ रहा है। मायावती के नाम से ही प्रत्याशी चुनाव जीत जाते थे।

अंदरूनी गुटबाजी को माना जा रहा वजह

अब स्थिति यह हो गई है कि जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनाने के लिए कार्यकर्ता ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। जिलाध्यक्ष दीपक बौद्ध को जिम्मेदारी मिले दो माह हो गए हैं। अभी तक वह अपनी कार्यकारणी नहीं बना सके हैं। अंदरूनी गुटबाजी को इसकी वजह माना जा रहा है। सुरेंद्र नागर बसपा के टिकट पर गौतमबुद्ध नगर से पहले सांसद बने थे।

इससे पहले दादरी से सतवीर गुर्जर और जेवर से होराम सिंह विधायक चुने गए। तब नोएडा भी दादरी विधानसभा का हिस्सा था। वेदराम भाटी कैबिनेट मंत्री बने। जबकि करतार नागर, सतीश अवाना, हरिश्चंद्र भाटी व अजीत पाल सिंह को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया।

अनिल अवाना विधान परिषद सदस्य बनाए गए। बसपा की बाला देवी, जयवती नागर व रविंद्र भाटी बारी-बारी से जिला पंचायत अध्यक्ष बने। करतार नागर को छोड़कर बाकी सभी बसपा छोड़ चुके हैं।

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खुर्शीद खान राजू

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