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Varanasi Special: काशी के पौराणिक मंदिरों की पहचान बताएंगे 100 भव्य स्तंभ, 24.35 करोड़ की लागत से होगा निर्माण

विश्व के सबसे प्राचीन जीवंत नगर काशी में पौराणिक मंदिरों का परिचय देने के लिए 100 भव्य स्तंभ बनाए जाएंगे। प्रदेश सरकार इन स्तंभों का निर्माण 10 पावन यात्रा परिपथों पर कराएगी। ये स्तंभ हर पथ की अलग-अलग यात्रा और मंदिरों की पहचान के रूप में स्थापित होंगे। इसे देखते ही उस यात्रा मार्ग के मंदिरों की पहचान आसानी से की जा सकेगी।

काशी के पौराणिक मंदिरों की पहचान के लिए 100 भव्य स्तंभों का होगा निर्माण

10 पावन यात्रा परिपथों के बीच पौराणिक महत्व के 120 मंदिर स्थित हैं। इन यात्राओं में अष्ट भैरव यात्रा, नौ गौरी यात्रा, नौ दुर्गा यात्रा, अष्टविनायक यात्रा, अष्ट प्रधान विनायक यात्रा, एकादश विनायक यात्रा, द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा, काशी विष्णु यात्रा, द्वादश आदित्य यात्रा और काशी चार धाम यात्रा शामिल हैं।

दूर से ही पहचाने जा सकेंगे मंदिर

यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लिमिटेड के परियोजना प्रबंधक विनय जैन ने बताया कि यात्रा के दौरान अब इन मंदिरों को दूर से ही पहचाना जा सकेगा। इसके लिए हर यात्रा से संबंधित स्तंभ लगाया जा रहा है। लाल और श्वेत पत्थरों से निर्मित स्तंभ की ऊंचाई करीब 12 से 15 फीट के बीच होगी।

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वाराणसी के मंदिरों से मिलेगी स्थापत्य कला

सभी स्तंभों की स्थापत्य कला वाराणसी के मंदिरों से मिलती जुलती होगी। द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा में स्तंभों पर नंदी और शिवलिंग, नवदुर्गा यात्रा में दुर्गा, द्वादश आदित्य ज्योतिर्लिंग में स्तंभों पर सूर्य, विनायक की अलग-अलग यात्रा में स्तंभों पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित होगी।

मंदिरों के पहले बनेंगे भव्य प्रवेश द्वार

मंदिरों में उपलब्ध स्थान के अनुसार 100 स्तंभों के अतिरिक्त प्रवेश द्वार भी बनाए जाएंगे। ये प्रवेश द्वार यात्रा विशेष के विषय में जानकारी देंगे। परियोजना प्रबंधक ने बताया कि प्रकाश, कूड़ेदान, बैठने के लिए बेंच, पीने के साफ पानी, फ्लोरिंग आदि का काम भी साथ-साथ किया जा रहा है।

काशी में प्रवेश करते ही मिलेगी पावन पथ की जानकारी

उन्होंने बताया कि काशी की सीमा में प्रवेश करते ही पावन यात्रा परिपथ की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी। इसके लिए पाथवे फाइंडर, इनफार्मेशन साइनेज भी लगाए जा रहे हैं। पावन यात्रा परिपथ परियोजना पर लगभग 24.35 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस योजना को दिसंबर 2023 तक मूर्त रूप देने का लक्ष्य रखा गया है।

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