चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग में कुछ ही घंटों का वक्त है। इस मिशन की सफलता के साथ ही भारत अंतरिक्ष जगत में दुनिया के टॉप 4 देशों में शामिल हो जाएगा। भारत से पहले अमेरिका, चीन और रूस ने ही यह उपलब्धि हासिल की है। इस बीच चंद्रयान-3 मिशन का नेतृत्व कर रहीं रितु कारीधाल श्रीवास्तव की भी खूब चर्चा हो रही हैं। रितु को बचपन से ही स्पेस साइंस में दिलचस्पी थी। वह स्कूल लाइफ में नासा और इसरो के अभियानों से जुड़ी खबरें जुटाया करती थीं। यह उनके सबसे पसंदीदा कामों में से एक था।
लखनऊ यूनिवर्सिटी से 1996 में फिजिक्स में एमएससी करने वाली रितु कारीधाल इससे पहले भी इसरो के कई अहम अभियानों का हिस्सा रह चुकी हैं। रितु ने कई अभियानों के डायरेक्टर के तौर पर भी भूमिका अदा की है। खास बात यह है कि रितु कारीधाल की पूरी पढ़ाई भारत में ही हुई थी। लखनऊ से एमएससी करने के बाद उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से एमटेक की डिग्री ली थी। लखनऊ यूनिवर्सिटी में उनके टीचर और मेंटर रहे लोग बताते हैं कि वह बेहद प्रतिभाशाली थीं।
इसरो में सीनियर साइंटिस्ट के तौर पर काम करने वालीं रितु ने 1997 में संस्था को जॉइन किया था। स्पेस साइंटिस्ट होने के अलावा वह रिसर्च पेपर भी लिख चुकी हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में रितु कारीधाल के 20 से ज्यादा रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं। रितु कारीधाल मंगलयान मिशन की भी सह-निदेशक थीं। अहम परियोजनाओं में उनके अनुभव को देखते हुए उनको चंद्रयान जैसे मिशन की जिम्मेदारी दी गई है। चंद्रयान-2 का नेतृत्व भी रितु ने ही किया था। रितु के परिवार में उनके पति अविनाश और दो बच्चे आदित्य एवं अनीषा हैं।