उमस और गर्मी से राज्य में बिजली की मांग लगातार 26 हजार मेगावाट से अधिक बनी हुई है। इस बीच यूपी में 1970 मेगावाट की चार इकाइयों के बंद हो जाने से बिजली की उपलब्धता में बाधाएं आ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ढाई से तीन घंटे तक कटौती की जा रही है। सोमवार को सुबह एसएल़डीसी द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि गांवों में 18 घंटे की जगह महज 15.30 घंटे बिजली की आपूर्ति पिछले 24 घंटे में की गई।
नगर पंचायतों, तहसील मुख्यालयों और बुंदेलखंड क्षेत्र में भी तय शिड्यूल से बिजली की आपूर्ति नहीं की गई। प्रदेश में मौजूदा समय में बिजली की उपलब्धता 26317 मेगावाट के करीब है जबकि अधिकतम मांग 28 हजार मेगावाट तक जा रही है। औसतन करीब 2000 मेगावाट बिजली की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती किए जाने से किसान अधिक परेशान हैं।
मेजा की 660 मेगावाट, ललितपुर की 660 मेगावाट, अनपरा की 500 मेगावाट तथा हरदुआगंज की 105 मेगावाट क्षणता की बिजली उत्पादन यूनिट पिछले दो दिनों से बंद हैं। इन इकाइयों के बंद होने से 1970 मेगावाट बिजली का उत्पादन कम हो रहा है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ढाई घंटे तक बिजली काटे जाने से लोग परेशान हैं। प्रबंधन तत्काल इसका समाधान करें। बिजली की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ठोस उपाय किए जाएं। उन्होंने बताया है कि 20 अगस्त को 26317 मेगावाट बिजली राज्य में उपलब्ध थी जबकि अधिकतम मांग 28000 मेगावाट से भी अधिक थी। इस समय गांवों में बिजली की अधिक जरूरत खेती के लिए है।