अमेठी, उत्तर प्रदेश – अमेठी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर एक बड़े कछुआ तस्करी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो महिला समेत पांच तस्करों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी अमेठी बस डिपो के पास की गई, जहां से तस्कर बैटरी रिक्शा बुक करके जा रहे थे। पुलिस ने तस्करों के पास से विभिन्न प्रजातियों के कुल 76 कछुए बरामद किए हैं।
घटना का पूरा विवरण
अमेठी पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ तस्कर बड़ी संख्या में कछुए लेकर बनारस की ओर जा रहे हैं। सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और अमेठी बस डिपो के पास तस्करों को धर दबोचा। पकड़े गए तस्करों में दो महिलाएं भी शामिल थीं, जो कि कछुआ तस्करी में लिप्त थीं।
तस्करों के पास से बरामद कछुए
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने तस्करों के पास से लगभग 10 बड़ी प्रजाति के और 66 छोटी प्रजाति के कछुए बरामद किए। यह कछुए सुल्तानपुर के पकड़ी गांव के निवासी तस्करों द्वारा बिक्रय के लिए ले जाए जा रहे थे। तस्कर इन कछुओं को बनारस ले जाने की योजना बना रहे थे।
पुलिस और फॉरेस्ट टीम की संयुक्त कार्रवाई
तस्करों को हिरासत में लेते ही पुलिस ने फॉरेस्ट टीम को बुलाया। फॉरेस्ट टीम ने कछुओं की पहचान और उनके संरक्षण के लिए आवश्यक विधि कार्यवाही शुरू की। पुलिस और फॉरेस्ट टीम की इस संयुक्त कार्रवाई की सराहना की जा रही है।
तस्करों की पहचान और पूछताछ
गिरफ्तार तस्करों की पहचान सुल्तानपुर के पकड़ी गांव के निवासियों के रूप में की गई है। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में तस्करों ने बताया कि वे लंबे समय से कछुआ तस्करी में लिप्त हैं और विभिन्न शहरों में कछुओं को बेचने का धंधा करते हैं। तस्करों ने यह भी खुलासा किया कि कछुए बनारस के विभिन्न बाजारों में बेचे जाने थे, जहां उनकी भारी मांग है।
कछुआ तस्करी का बढ़ता हुआ नेटवर्क
यह घटना इस बात का प्रमाण है कि कछुआ तस्करी का नेटवर्क बहुत ही व्यापक और संगठित है। कछुए, विशेष रूप से बड़ी प्रजाति के, अपने औषधीय गुणों और धार्मिक महत्व के कारण ऊंची कीमतों पर बेचे जाते हैं। यही कारण है कि तस्कर इनकी तस्करी में लिप्त रहते हैं।
कछुओं का महत्व और संरक्षण
कछुए पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे जलीय और स्थलीय दोनों पारिस्थितिक तंत्रों के संतुलन को बनाए रखते हैं। कछुओं की तस्करी से न केवल उनकी आबादी पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन को भी बिगाड़ता है। इसलिए, कछुओं का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुलिस की सतर्कता और समाज की भूमिका
अमेठी पुलिस की इस कार्रवाई की जितनी भी सराहना की जाए, कम है। पुलिस की सतर्कता और तत्परता के कारण ही यह बड़ी तस्करी पकड़ी जा सकी। समाज के प्रत्येक व्यक्ति की भी यह जिम्मेदारी है कि वह इस प्रकार की अवैध गतिविधियों के खिलाफ सतर्क रहे और पुलिस को समय पर सूचना दे।
कछुआ तस्करी के खिलाफ कानून
कछुआ तस्करी के खिलाफ भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत सख्त कानून बनाए गए हैं। इस अधिनियम के तहत कछुओं की तस्करी, शिकार, और व्यापार पर कड़ी सजा का प्रावधान है। तस्करों को लंबी अवधि की जेल और भारी जुर्माना का सामना करना पड़ सकता है।
कछुओं का संरक्षण: एक सामूहिक प्रयास
कछुओं के संरक्षण के लिए सरकार, पुलिस, और फॉरेस्ट विभाग के साथ-साथ समाज के हर वर्ग का सहयोग आवश्यक है। इस दिशा में जनजागरण और शिक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए ताकि लोग कछुओं के महत्व को समझें और उनके संरक्षण में योगदान दें।
भविष्य की योजना और कार्रवाई
पुलिस और फॉरेस्ट विभाग की संयुक्त टीम अब इस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि तस्करी के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़ी निगरानी और सतर्कता की आवश्यकता है।
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अमेठी पुलिस की इस सराहनीय कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि सतर्कता और तत्परता से बड़ी से बड़ी अवैध गतिविधियों को रोका जा सकता है। कछुआ तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और समाज की जागरूकता ही कछुओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक रहे और इस दिशा में अपने कर्तव्यों का पालन करे।