1. समस्या की शुरुआत
दिल्ली में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़ी समस्याओं को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसने व्यापक चर्चा और विवाद को जन्म दिया है।
दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या दशकों से बढ़ती जा रही है। अनुमान है कि शहर में लगभग 8 लाख कुत्ते सड़क पर घूम रहे हैं। ये कुत्ते न केवल लोगों के लिए खतरा बन रहे हैं, बल्कि रेबीज जैसी बीमारियों का भी कारण बन रहे हैं।
- 2024 में रिकॉर्ड: कुत्तों के काटने के 37 लाख से अधिक मामले दर्ज हुए।
- मृत्यु: इनमें 54 लोगों की मौत रेबीज के कारण हुई।
- 2025 जनवरी: कुत्तों के काटने के 4 लाख 29 हजार मामले सामने आए।
यह स्थिति शहर की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गई थी।
दिल्ली एनसीआर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। इसमें कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और उन्हें सड़कों पर वापस न छोड़ने की व्यवस्था शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकायों को आवारा कुत्तों की शिकायत मिलने पर 4 घंटे के अंदर कार्रवाई करनी चाहिए।
धर्ने की पृष्ठभूमि
आवारा कुत्तों की समस्या दिल्ली में दशकों से बनी हुई है। शहर में इनकी संख्या बढ़कर लगभग आठ लाख हो गई है। पिछले साल 2024 में कुत्तों के काटने के 37 लाख मामले सामने आए थे, जिनमें 54 लोगों की मौत रेबीज के कारण हुई। इस गंभीर स्थिति के बावजूद कई पशु प्रेमियों का मानना है कि कुत्तों को जबरन हटाना और शेल्टर में रखना असंवेदनशील कदम है।
इस विरोध की प्रमुख वजह सुप्रीम कोर्ट का आदेश था। कई लोगों का कहना है कि इस कदम से कुत्तों का जीवन खतरे में पड़ सकता है और उनकी प्राकृतिक आज़ादी छिन जाएगी। यही कारण है कि उन्होंने धर्ना प्रदर्शन करके सरकार और न्यायपालिका को अपनी आपत्ति जताई।
पक्ष और विपक्ष
समर्थक: कई नागरिकों और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है, यह मानते हुए कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
विरोधी: पशु प्रेमियों और कई बॉलीवुड हस्तियों ने इस आदेश का विरोध किया है। भूमि पेडनेकर ने इसे असंवेदनशील और अव्यावहारिक बताया है, जबकि चहत्त खन्ना ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है।पक्ष और विपक्ष
समर्थक: कई नागरिकों और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है, यह मानते हुए कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
विरोधी: पशु प्रेमियों और कई बॉलीवुड हस्तियों ने इस आदेश का विरोध किया है। भूमि पेडनेकर ने इसे असंवेदनशील और अव्यावहारिक बताया है, जबकि चहत्त खन्ना ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है।
धर्ना प्रदर्शन का स्वरूप
धर्ने में प्रमुख रूप से पशु प्रेमी, एनजीओ, और आम नागरिक शामिल हुए। प्रदर्शनकारी हाथ में बैनर और पोस्टर लेकर सड़कों पर खड़े रहे, जिन पर लिखा था – “कुत्ते भी हमारी जिम्मेदारी हैं”, “मानवीय दृष्टिकोण अपनाओ”, और “आवारा कुत्तों को नुकसान मत पहुँचाओ।”
कुछ प्रदर्शनकारी तो कोर्ट के फैसले के खिलाफ खुले मंच से बोलते भी दिखे। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे उपाय अपनाने चाहिए जिससे कुत्तों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे और शहर में रहने वाले लोग भी सुरक्षित रहें।
प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया
प्रदर्शन को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने कई इलाकों में विशेष व्यवस्थाएँ की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क पर जमकर खड़ा होने की अनुमति दी, लेकिन यातायात प्रभावित न हो, इसका ध्यान रखा। प्रशासन ने यह भी कहा कि धर्ना शांतिपूर्ण हो, किसी प्रकार की हिंसा न हो।