Amethi News | संवाददाता, मो. तौफ़ीक़ की विशेष रिपोर्ट
अमेठी। बदलते दौर और डिजिटल युग में जहाँ लोग फिल्मों, टीवी सीरियल्स और सोशल मीडिया रील्स में खोते जा रहे हैं, वहीं पारंपरिक नौटंकी आज भी लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाए हुए है। यह न केवल मनोरंजन का माध्यम है बल्कि समाज को हंसाने, रुलाने और संदेश देने का भी सशक्त जरिया है। जन्माष्टमी के मौके पर अमेठी जिले के शुकुल बाजार ब्लॉक क्षेत्र के महोना पश्चिम गाँव में आयोजित नौटंकी ने यह साबित कर दिया कि यह कला अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, बल्कि आज भी दर्शक इसे जीवंत बनाए हुए हैं।
नौटंकी का आयोजन और उत्साह
Amethi News के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर महोना पश्चिम गाँव में नौटंकी का भव्य आयोजन किया गया। गाँव के लोगों ने एकजुट होकर इस पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। ढोल, नगाड़ा, हार्मोनियम और लोक वाद्यों की धुन पर कलाकारों ने गीत और नृत्य के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हमारे यूट्यूब चैनल को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। …
समाज को जोड़ने वाली कला
नौटंकी हमेशा से केवल मनोरंजन का साधन नहीं रही है। यह सामाजिक संदेश देने का भी एक प्रभावशाली माध्यम है। कलाकारों ने गलत और सही के बीच के संघर्ष को अपनी प्रस्तुति में दर्शाया। अंततः जीत हमेशा अच्छाई की होती है और यही संदेश नौटंकी की मूल आत्मा को दर्शाता है।
फिल्म और रील के दौर में भी कायम है पहचान
आज के आधुनिक दौर में जहाँ लोग फिल्मों और सोशल मीडिया के प्रति अधिक आकर्षित हैं, वहाँ नौटंकी जैसे पारंपरिक मंचीय कला का जीवित रहना बड़ी बात है। कलाकारों ने Amethi News को बताया कि उनका बचपन रामलीला और नौटंकी देखकर बीता। यही शौक उन्हें कलाकार बना गया और आज भी वे इस कला को अपनी पहचान मानते हैं।
दर्शकों का उत्साह और समर्थन
गाँव के छोटे-बड़े सभी लोग नौटंकी देखने पहुँचे। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने देर रात तक नौटंकी का आनंद लिया। दर्शकों का मानना है कि नौटंकी ग्रामीण संस्कृति की आत्मा है और इसे जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है।
Amethi News नौटंकी कलाकारों से खास बातचीत
Amethi News ने नौटंकी कलाकारों से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि यह कला केवल मंच पर नाच-गाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के अनुभवों को प्रस्तुत करने का एक अनोखा तरीका है। कलाकारों का कहना था कि अगर सरकार और समाज से उचित सहयोग मिले तो इस परंपरा को न केवल बचाया जा सकता है, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाया जा सकता है।
आधुनिकता और परंपरा का संगम
नौटंकी आज भी ग्रामीण इलाकों में त्योहारों, मेलों और सामाजिक कार्यक्रमों का हिस्सा है। हालाँकि, बदलते दौर में इसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। लाइट, साउंड और मंचीय सजावट के साथ अगर नौटंकी को प्रस्तुत किया जाए तो यह युवाओं को भी आकर्षित कर सकती है।
सांस्कृतिक धरोहर की पहचान
नौटंकी भारत की प्राचीन लोककला है जिसकी जड़ें गाँवों में गहरी हैं। अमेठी जैसे जिलों में आज भी लोग इसे देखना पसंद करते हैं। यह केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर की जीवंत पहचान है।
Amethi News: की इस विशेष रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि नौटंकी जैसी पारंपरिक कला आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। यह समाज को जोड़ने, मनोरंजन करने और संदेश देने का सबसे सरल और प्रभावशाली तरीका है। गाँवों से भले ही यह कला धीरे-धीरे गायब हो रही हो, लेकिन अमेठी के महोना पश्चिम जैसे गाँव अब भी इसे जीवित रखने की मिसाल बने हुए हैं।
जन्माष्टमी पर सीडीओ ने गोवंश आश्रय स्थल अमेठी का निरीक्षण किया।