अदरक (ginger) सभी घर में उपयोग की जाती …………

अदरक (ginger) सभी घर में उपयोग की जाती है। शायद ही ऐसा कोई घर होगा जिसमें अदरक वाली चाय नहीं बनाई जाती होगी। अदरक सभी घरों में सब्जी में भी इस्तेमाल की जाती है। दरअसल अदरक के सेवन से इतना अधिक लाभ होता है कि हर घर में अदरक रोजाना उपयोग में लाई जाती है। इसके अलावा भी अदरक के कई सारे गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि अदरक एक जड़ी-बूटी भी है, और पाचन-तंत्र, सूजन, शरीर के दर्द, सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों में अदरक के इस्तेमाल से फायदे (ginger benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, ह्रदय रोग, रक्त विकार, बवासीर आदि रोगों में भी अदरक के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में अदरक के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए बहुत जरूरी है। आप भूख की कमी, बदहजमी, वात-पित्त दोष आदि में अदरक के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप घाव, पथरी, बुखार, एनीमिया और मूत्र रोग में भी अदरक से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि अदरक के सेवन से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि अदरक से नुकसान (ginger side effects) क्या-क्या हो सकता है।
भूमि के अन्दर उगने वाले प्रकन्द को आर्द्र अवस्था में अदरक, जबकि सूखी अवस्था में सोंठ कहते हैं। प्राचीन ग्रन्थों में अदरक का उल्लेख पाया जाता है। बहुत सालों से औषधि चूर्ण, काढ़ा, गुटिका (गोली) तथा अवलेह आदि में अदरक का प्रयोग किया जा रहा है।
अदरक सुगन्धित होता है। अदरक का पौधा कई वर्षों तक जीवित रहता है। यह लगभग 90-120 सेमी ऊँचा, कोमल होता है। हर साल प्रकन्द से नई शाखाएं निकलती हैं। इसका प्रकन्द सफेद या पीला रंग का होता है जो बाहर से भूरे रंग का होता है। अदरक में धारियां होती हैं और यह गोलाकार होने के साथ-साथ एक या अनेक भागों में विभाजित होता है।
यहां अदरक के फायदे और नुकसान (ginger benefits and side effects)की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप अदरक के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अदरक के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Ginger in Hindi)
सोंठ उष्ण होने से कफ-वात शामक, शोथहर, उत्तेजक, वेदनास्थापक, नाड़ियों को उत्तेजना देने वाली, तृप्तिघ्न, रुचिकारक, दीपन, पाचन, वातानुलोमन, शूल-प्रशमन तथा अर्शोघ्न है। उष्ण होने के कारण हृदय एवं रक्तवह-संस्थान को उत्तेजित करती है। अदरक कटु और स्निग्ध होने के कारण कफघ्न और श्वासहर है। यह मधुर विपाक होने से वृष्य है। तीक्ष्णता के कारण यह स्रोतोवरोध का भी निवारण करती है।

Khursheed Khan Raju

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