Lucknow, 07 अगस्त 2025।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में काकोरी ट्रेन एक्शन (1925) एक ऐसा अध्याय है जिसने इतिहास को नई दिशा दी। इस घटना के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में राजधानी Lucknow के बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय “काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह” का आयोजन किया गया। इस समारोह का दूसरा दिन देशभक्ति गीतों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और फिल्मों की रोशनी से भरपूर रहा।
यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के एस.ई.ई.एस. सभागार में आयोजित हुआ, जिसे बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग और महुआ डाबर संग्रहालय ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। कार्यक्रम का उद्देश्य था स्वतंत्रता संग्राम के वीरों की गाथा को नई पीढ़ी तक पहुँचाना और उनके बलिदान को सम्मान देना।
Lucknow में गूँजे देशभक्ति गीत
दूसरे दिन की शुरुआत 19वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल की गतिविधियों के साथ हुई। विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने मंच पर देशभक्ति गीतों और नृत्य प्रस्तुतियों से ऐसा वातावरण बनाया कि पूरा सभागार “इंकलाब जिंदाबाद” की भावना से भर गया। गीतों की गूंज ने दर्शकों को काकोरी के शहीदों—रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र लाहिड़ी और रोशन सिंह—की याद दिला दी।
फिल्मों और कार्यशालाओं की छटा
इस आयोजन की खासियत रही फिल्म मेकिंग कार्यशाला, जिसमें युवाओं को फिल्म निर्माण की बारीकियों से अवगत कराया गया।
- प्रो. एस. विक्टर बाबू (डीन एकैडमिक अफेयर्स) ने कार्यशाला की अध्यक्षता की।
- स्वागत भाषण प्रो. वी.एम. रवि कुमार (इतिहास विभागाध्यक्ष) ने दिया।
- मुख्य वक्ता संजय मिश्रा (राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली) ने भारतीय फिल्मों के इतिहास और उनके सामाजिक प्रभावों पर प्रकाश डाला।
फिल्म निर्देशक प्रो. मोहन दास ने फिल्म निर्माण के बजट और स्ट्रक्चर पर विस्तृत जानकारी दी। वहीं प्रसिद्ध छायाकार आशीष अग्रवाल ने कैमरा एंगल, प्रकाश व्यवस्था और तकनीकी पक्षों पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
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प्रदर्शनी: इतिहास को करीब से देखने का मौका
Lucknow में आयोजित इस शताब्दी समारोह का विशेष आकर्षण रही प्रदर्शनी। इसमें काकोरी केस पर आधारित दुर्लभ दस्तावेज़, पोस्टर, चित्र और किताबें प्रदर्शित की गईं। इस प्रदर्शनी ने युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के वास्तविक दस्तावेज़ों और कहानियों से जोड़ने का काम किया।
आगंतुकों ने कहा कि यह प्रदर्शनी केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं बल्कि राष्ट्रप्रेम की गहरी अनुभूति है। प्रदर्शनी अंतिम दिन तक लोगों के लिए खुली रहेगी।
अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस कार्यक्रम में इतिहास, पत्रकारिता, कला और संस्कृति से जुड़ी कई हस्तियों ने शिरकत की। इनमें आयाज़ सिद्दकी, डॉ. शाह आलम राणा, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. सिद्धार्थ शंकर राय, अरविंद सिंह राणा और जी.पी. सिंघा प्रमुख रहे। उनकी उपस्थिति ने समारोह को और भी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बना दिया।
फेस्टिवल बुक का लोकार्पण
समारोह के दूसरे दिन एक और विशेष क्षण रहा जब फिल्मकारों द्वारा “फेस्टिवल बुक” रिलीज की गई। इस बुक में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े लेख, फिल्मों पर आधारित विश्लेषण और आज के दौर में काकोरी एक्शन की प्रासंगिकता को विस्तार से समझाया गया है।
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सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश
इस वर्ष समारोह की थीम रही – “एडवोकेसी—मेंटल हेल्थ, नो ड्रग्स और स्टॉप रेप्स”। आयोजकों ने कहा कि इतिहास की गाथाओं के साथ सामाजिक संदेश भी देना आवश्यक है।
Lucknow में आयोजित यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता का मंच भी साबित हुआ।
मंच संचालन और धन्यवाद
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुदर्शन चक्रधारी ने बेहद कुशलता से किया। अंत में डॉ. आनंद सिंह ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
Lucknow के लिए गौरव का अवसर
तीन दिवसीय यह समारोह केवल अतीत को याद करने का साधन नहीं रहा, बल्कि इसने नई पीढ़ी को प्रेरित किया कि स्वतंत्रता केवल संघर्ष से नहीं बल्कि जिम्मेदारी से भी जुड़ी है।
Lucknow ने इस आयोजन के जरिए एक बार फिर साबित किया कि यह शहर केवल तहज़ीब और संस्कृति का प्रतीक नहीं बल्कि देशभक्ति और बलिदान की कहानियों को जीवंत रखने का भी गढ़ है।
काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह ने यह दिखा दिया कि किस प्रकार Lucknow भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आयोजनों का केंद्र है। देशभक्ति गीतों की गूंज, फिल्मों की रौशनी, प्रदर्शनी की ऐतिहासिकता और अतिथियों की उपस्थिति ने इसे अविस्मरणीय बना दिया।
यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि स्वतंत्रता केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की जिम्मेदारी भी है।
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