
| संवाददाता, अली जावेद |
जालौन जिले के उरई में नगर पालिका परिषद कार्यालय में सोमवार शाम एक शर्मनाक घटना ने प्रशासन के चेहरे पर गहरा सवाल छोड़ दिया। एक सभासद प्रतिनिधि ने सफाई कर्मचारी धर्मदास की फंड की फाइल पर पानी डालते हुए उसे डस्टबिन में फेंक दिया। यह पूरी घटना CCTV कैमरे में दर्ज हो गई जिसे पुलिस ने आधार मानते हुए तीनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। घटना ने नगर पालिका कार्यालय की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और सफाई कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
मुकदमे की पाँच बुनियादी बातें (5W1H Format)
कहां (Where):
- यह घटना उरई कोतवाली क्षेत्र के नगर पालिका परिषद कार्यालय, उरई (जालौन) में हुई।
कब (When):
- यह घटना 18 अगस्त 2025, सोमवार शाम लगभग 4:30 बजे घटित हुई, जब धर्मदास अपनी पत्नी सरला की फ़ंड फाइल के लिए कार्यालय में मौजूद थे।
कौन (Who):
- पीड़ित सफाई कर्मचारी: धर्मदास (नया रामनगर, उरई निवासी)। उनकी पत्नी सरला 31 अगस्त 2025 को रिटायर होने वाली हैं, इसलिए उनका फंड फाइल तैयार किया जा रहा था।
- आरोपी प्रतिनिधि: वार्ड‑9 की सभासद आरती वर्मा के पति पुष्पेंद्र, वार्ड‑23 के प्रतिनिधि विपिन गुप्ता, और वार्ड‑30 के देवेन्द्र राठौर।
क्या (What):
- आरोप है कि तीनों ने फ़ाइल छीनी, उस पर पानी डाला और डस्टबिन में फेंक दी। साथ ही धर्मदास को जातिसूचक गालियाँ दी गई और जान से मारने की धमकी भी दी गई।
क्यों (Why):
- धर्मदास का आरोप है: “हम लोगों को नमस्कार किए बिना और हमारी मर्जी के बिना तुम्हारी फ़ाइल आगे नहीं बढ़ेगी।” अर्थात् वह मर्जी और सम्मान वाले सवाल पर हंगामा किया गया।
कैसे (How):
- घटना का पूरा दृश्य CCTV कैमरे में कैद हो चुका है, जिसमें फ़ाइल पर पानी डालने और उसे डस्टबिन में फेंकने की हर क्रिया स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
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घटना का विस्तार
धर्मदास, जो लंबे समय से सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं, और उनकी पत्नी सरला का सेवानिवृत्ति करीब आ रही थी (31 अगस्त 2025), इसलिए उनकी फंड फ़ाइल अंतिम समय में तैयार की जा रही थी। इस बीच 18 अगस्त की शाम जब धर्मदास कार्यालय में थे, तभी तीन सभासद प्रतिनिधि—पुष्पेंद्र, विपिन गुप्ता और देवेन्द्र राठौर—वहां पहुंचे और उन्होंने अभद्र भाषा में धमकी दी। फ़ाइल पर पानी डालकर उसे डस्टबिन में फेंकने की ज्यादती उनके विरोध के बावजूद की गई। आसपास के कर्मचारी इसे सेंधनुमा घटना मानते हुए स्टैंड बाय थे, लेकिन दबंगतापूर्ण कार्रवाई ने सबको स्तब्ध कर दिया।
स्थानीय कर्मचारियों की प्रतिक्रिया और पुलिस से शिकायत
इस घटना से सफाई कर्मचारियों में गहरा आक्रोश व्याप्त हुआ। धर्मदास ने तत्काल उरई कोतवाली गया, लेकिन वहां ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी ने उन्हें “कल आना” कहकर टाल दिया। अगले दिन धर्मदास ने लिखित शिकायत दर्ज करवाई। CCTV फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ा—और पुलिस ने अंततः आरोपियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।
प्रशासन की कार्यवाई
उरई के सीओ (मुख्य अधिकारी) अर्चना सिंह ने पुष्टि की कि CCTV के आधार पर तीनों प्रतिनिधियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और मामले की विस्तृत जांच जारी है।
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प्रभाव और संभावित आगे की कार्रवाई
- कर्मचारियों में असंतोष: सफाई कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि आरोपियों पर जल्द कार्यवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन पर उतर सकते हैं।
- प्रशासन की जवाबदेही: नगर पालिका कार्यालय जैसी जगह पर इस तरह की पारम्परिक गरिमा को आघात—यह प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाता है।
- न्याय की संभावनाएं: CCTV फुटेज से सबूत स्पष्ट हैं, जिससे आरोपियों के खिलाफ शायद तेज़ जांच और प्रभावी कार्यवाई होगी।
निष्कर्ष / समापन (Conclusion)
यह घटना न केवल भूलपूर्वक सिंहासन पर बैठे कुछ प्रतिनिधियों की घोर घमंड की कहानी है, बल्कि यह उस सिस्टम की भी कहानी है जो दरकिनार होते कर्मचारियों और सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की गरिमा का ध्यान नहीं रखता। जब तक प्रशासन न्यायिक और निष्पक्ष ढंग से नहीं चलता, तब तक ऐसी घटनाएं अकेली नहीं रहेंगी। इसलिये जालौन में इस मामले की गहन जांच और त्वरित कार्यवाई की जरूरत है।