Basti: गोविंद नगर शुगर मिल वाल्टरगंज पर फिर भड़का गुस्सा, किसानों और कर्मचारियों ने शुरू किया धरना

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| संवाददाता, धर्मेंद्र द्विवेदी |

उत्तर प्रदेश के Basti जिले में एक बार फिर गोविंद नगर शुगर मिल, वाल्टरगंज सुर्खियों में है। वर्षों से बंद पड़ी इस मिल को लेकर कर्मचारी और किसान अब सड़क पर उतर चुके हैं। मिल के गेट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो चुका है, जिसमें बकाया भुगतान, मिल की मरम्मत और पुनः संचालन की मांग जोर पकड़ चुकी है।


🏭 Basti की शुगर मिल: इतिहास से लेकर उपेक्षा तक

Basti जिले के वाल्टरगंज थाना क्षेत्र में स्थित गोविंद नगर शुगर मिल कभी इस क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ मानी जाती थी। सैकड़ों कर्मचारी और हज़ारों किसानों की रोज़ी-रोटी इसी पर निर्भर थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह मिल बंद पड़ी है, और फ़ेनिल ग्रुप द्वारा अधिग्रहित करने के बाद भी संचालन बहाल नहीं किया गया।


🚨 अनिश्चितकालीन धरना: आंदोलन की नई शुरुआत

अब किसानों और कर्मचारियों का धैर्य जवाब दे चुका है। उन्होंने मिल गेट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि:

  • मिल की मरम्मत तुरंत कर शुरू किया जाए
  • बकाया वेतन और गन्ना भुगतान किया जाए
  • स्क्रैप की बिक्री का विरोध रोका जाए
  • मिल के मालिकान पर कड़ी कार्यवाही हो

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💰 7 करोड़ से अधिक का बकाया, लेकिन सुनवाई नहीं

प्रदर्शनकारियों के अनुसार, ₹7,16,52,289 (7 करोड़ 16 लाख 52 हज़ार 289 रुपए) का बकाया कर्मचारियों और किसानों को मिल मालिकों से मिलना है। इतनी बड़ी धनराशि के बावजूद अब तक किसी तरह की ठोस पहल नहीं की गई।


👨‍🌾 राजनीतिक समर्थन: सपा विधायक महेंद्र नाथ यादव धरना स्थल पर पहुंचे

प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे समाजवादी पार्टी के विधायक महेंद्र नाथ यादव ने आंदोलनकारियों को अपना समर्थन दिया और कहा:

“यह केवल बकाया नहीं, बल्कि किसानों और मजदूरों के भविष्य का सवाल है। जब तक मिल दोबारा शुरू नहीं होती, तब तक हम चुप नहीं बैठेंगे।”


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🛑 आरसी और कुर्की के बावजूद नहीं सुधरा प्रबंधन

जिला प्रशासन ने पहले ही मिल के मालिक फ़ेनिल ग्रुप के खिलाफ RC (Recovery Certificate) जारी किया है और मिल की संपत्ति को कुर्क किया जा चुका है। इसके बावजूद कोई ठोस कार्यवाही ज़मीन पर नहीं दिख रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह सरकार और प्रशासन की मिल मालिकों से मिलीभगत का परिणाम है।


📌 स्क्रैप बिक्री पर विवाद

मिल परिसर में रखे 48 स्क्रैप यूनिट का मूल्यांकन करने पहुंची टीम को पहले भी आंदोलनकारियों ने रोक दिया था। उनका कहना है कि जब तक मिल शुरू नहीं होती, किसी भी स्क्रैप की बिक्री या नीलामी नहीं होने दी जाएगी। उनका डर है कि स्क्रैप बेचकर मिल को पूरी तरह खाली और अनुपयोगी बना दिया जाएगा।


🗣️ आंदोलनकारियों की मुख्य मांगें

  1. मिल की तुरंत मरम्मत और चालू संचालन।
  2. किसानों और कर्मचारियों का पूर्ण भुगतान।
  3. मिल परिसर से स्क्रैप की नीलामी रोकी जाए।
  4. फ़ेनिल ग्रुप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई।
  5. राज्य सरकार से हस्तक्षेप और जवाबदेही।

📰 पूर्व घटनाओं की पृष्ठभूमि

  • 2018 में पहली बार मिल बंद हुई और संचालन में बाधा आई।
  • 2020 में एक बार फिर मिल खोलने का प्रयास किया गया लेकिन असफल रहा।
  • 2022 में गन्ना किसानों ने विशाल धरना दिया था, जिसे जिला प्रशासन ने आश्वासन देकर समाप्त कराया।
  • 2023 में कुर्की प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन मिल फिर भी चालू नहीं हुई।

📉 Basti की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर

Basti जिले के वाल्टरगंज, कटेश्वर, टिकरिया, हर्रैया, कप्तानगंज जैसे क्षेत्रों में हजारों किसान गन्ना उत्पादन करते हैं। गोविंद नगर मिल के बंद होने से:

  • किसानों को फसल दूर की मिलों में भेजनी पड़ रही है
  • ट्रांसपोर्ट और कटाई खर्च बढ़ गया है
  • समय पर भुगतान नहीं मिलने से कर्ज और आत्महत्या जैसे हालात बनते हैं
  • स्थानीय श्रमिकों की रोज़गार छिन चुकी है

📊 आर्थिक असर और आंकड़े (संभावित):

वर्गअनुमानित संख्याबकाया राशि
कर्मचारी400+₹2.5 करोड़+
किसान1200+₹4.5 करोड़+
कुल बकाया₹7.16 करोड़

(इन आंकड़ों को ग्राफ या चार्ट के रूप में WordPress पर शामिल करें)


📢 प्रशासन की चुप्पी: सवालों के घेरे में

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने सिर्फ कागजी कार्यवाही की है। धरना स्थल पर प्रशासन की ओर से कोई बड़ा अधिकारी अभी तक नहीं पहुंचा। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे जिला मुख्यालय तक मार्च करेंगे


📷 फ़ोटो गैलरी (सुझावित):

  • धरना स्थल पर बैठे किसान और कर्मचारी
  • सपा विधायक महेंद्र नाथ यादव का संबोधन
  • बंद पड़ा मिल परिसर
  • स्क्रैप के ढेर और आंदोलनकारियों द्वारा लगाए गए बैनर

🔚 निष्कर्ष: Basti में फिर गूंजा सवाल — क्या होगा मिल का भविष्य?

Basti के गोविंद नगर शुगर मिल को लेकर पिछले कई वर्षों से आंदोलन, विरोध, आश्वासन और धोखा चलता आ रहा है। लेकिन अब लगता है कि जनता की सहनशक्ति जवाब दे चुकी है। यह सिर्फ एक मिल का मामला नहीं, बल्कि उस तंत्र का सवाल है जो ग्रामीण भारत की रीढ़ को हाशिए पर डाल रहा है।

सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकालें, वरना Basti का यह आंदोलन प्रदेशव्यापी जनआंदोलन में बदल सकता है।

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

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